न्यूज़ टेलीविजन अवार्ड यानी एनटी अवार्ड वाले या तो बुरबक हैं या फिर आले दर्जे के ………
सब जानते हैं कि एनटी अवार्ड टेलीविजन न्यूज़ इंडस्ट्री का कॉरपोरेट अवार्ड है. पत्रकारीय लहजे से एनटी अवार्ड दो कौड़ी का है लेकिन इसकी कॉरपोरेट वैल्यू है. इसी कारणवश इसका महत्व भी है और टेलीविजन न्यूज़ इंडस्ट्री को इसका इंतजार रहता है.
लेकिन कॉरपोरेट अंदाज़ में अवार्ड कराने के बावजूद एनटी अवार्ड के कर्ता-धर्ता अनिल वनवारी ऐसी छोटी – छोटी गलतियाँ करते हैं कि पूछिए मत.
अब कल रात हुए एनटी अवार्ड को ही ले लीजिए. टीवी टुडे ग्रुप के मालिक अरुण पुरी को अवार्ड देने के लिए बुलाया गया और उन्हीं के चैनल आजतक को अवार्ड दिलवा दिया गया.
मतलब आजतक के मालिक अरुण पुरी ही आजतक के चैनल हेड सुप्रिय प्रसाद को अवार्ड दे रहे थे.
सोंचिये अरुण पुरी भी कितना अजीब महसूस कर रहे होंगे. खुद के चैनल को ही खुद ही अवार्ड. भला ऐसा भी होता है क्या?
यदि यही काम करना होता तो अरुण पुरी फिल्म सिटी स्थित अपने दफ्तर में ही ये काम न निपटा लेते. अच्छा तो ये होता कि अरुण पुरी से दूसरे चैनलों को सिर्फ अवार्ड दिलवाया जाता और आजतक वाला अवार्ड किसी और के हाथों दिलवाया जाता. लेकिन एनटी अवार्ड वालों को इन बातों की सुध कहाँ? वे तो अवार्ड से कमाए नोट गिनने में व्यस्त थे.