विष्णुगुप्त का लेख मार लिया अखबार ने और क्रेडिट भी नहीं दिया

हिन्दी के अखबारों में अनपढ़ और अपराधी टाइप के लोगों का आधिपत्य हो गया है। सरकारी विज्ञापन हासिल कर धनवान बनने की इच्छा से कुकुरमुत्ते की तरह अखबारों की बाढ़ आ गयी।

अखबारों न तो संपादक होता है और न ही संपादकीय टीम होती है। चोरी और बिना ऐडिट के समाचार-लेख प्रकाशित करते हैं। एक ऐसा ही अखबार है जिसका नाम है ‘जगतक्रांति‘। यह अखबार हरियाणा के जींद से निकलता है।

जगतक्रांति अखबार ने एक जनवरी 2013 को ‘तेलंगाना पर आग-पानी का खेल‘ नामक शीर्षक मेरे लेख को किसी दूसरे के नाम से छाप दिया और खंडन भी नहीं छाप रहा है।

क्या ऐसे अखबारों और उनके मालिकों के खिलाफ सरकारी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए, क्या प्रेस परिषद जैसे नियामकों को स्वयं संज्ञान नहीं लेना चाहिए? (पत्रकार और स्तंभकार विष्णुगुप्त के वॉल से)


2 COMMENTS

  1. आदरणीय भाई विष्णु गुप्त जी पहले भी आपके लेख जगत क्रांति में प्रकाशित होते रहे है और जगत क्रांति में प्रकाशित इन लेखो को आपने अपनी वाल पे लगा रखा है परन्तु जनवरी में एक लेख में गलती से आपकी जगह किसी और का नाम लग जाने से क्या ये समाचार पत्र अनपढ़ व् अपराधी किस्म के लोगो का हो गया जबकि नाम गलत प्रकाशित होने से पहले जब आपके सभी लेख जो जगत क्रांति में प्रकाशित होते रहे है तब ये पढ़े लिखे लोगो का था आपकी सोच लाजवाब है

    1– ये लेख कही से चोरी नहीं है आपने मेल से भेजा था
    2— हा गलती से इसमें आपकी जगह किसी और का नाम प्रकाशित हो गया जो 3 जनवरी के अंक में प्रकाशित कर दिया गया था
    3 — अगर कही से चोरी किया है तो पहले प्रकाशित लेखों पर आपने इसका विरोध क्यों नहीं किया पहले वाले लेख जो आपके चित्र के साथ पकाशित हुए है उनको तो आपने बहुत मान सम्मान और फक्र के साथ अपनी फेस बुक की वाल पर लगा रखा है
    4– इस लेख में भी सिर्फ आके नाम की जगह किसी और का नाम है परन्तु लेख के नीचे आपका ही मोबाईल नंबर है

  2. ]आदरणीय भाई विष्णु गुप्त जी पहले भी आपके लेख जगत क्रांति में प्रकाशित होते रहे है और जगत क्रांति में प्रकाशित इन लेखो को आपने अपनी वाल पे लगा रखा है परन्तु जनवरी में एक लेख में गलती से आपकी जगह किसी और का नाम लग जाने से क्या ये समाचार पत्र अनपढ़ व् अपराधी किस्म के लोगो का हो गया जबकि नाम गलत प्रकाशित होने से पहले जब आपके सभी लेख जो जगत क्रांति में प्रकाशित होते रहे है तब ये पढ़े लिखे लोगो का था आपकी सोच लाजवाब है

    1– ये लेख कही से चोरी नहीं है आपने मेल से भेजा था
    2— हा गलती से इसमें आपकी जगह किसी और का नाम प्रकाशित हो गया जो 3 जनवरी के अंक में प्रकाशित कर दिया गया था
    3 — अगर कही से चोरी किया है तो पहले प्रकाशित लेखों पर आपने इसका विरोध क्यों नहीं किया पहले वाले लेख जो आपके चित्र के साथ पकाशित हुए है उनको तो आपने बहुत मान सम्मान और फक्र के साथ अपनी फेस बुक की वाल पर लगा रखा है
    4– इस लेख में भी सिर्फ आके नाम की जगह किसी और का नाम है परन्तु लेख के नीचे आपका ही मोबाईल नंबर है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.