आतंकवादी धमकी के बाद टाइम्स नाऊ के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को सरकार ने सुरक्षा देने का फैसला किया. लेकिन इस फैसले के बाद उनकी पत्रकार बिरादरी का ही एक धड़ा इसका विरोध कर रहा है. उनका मानना है कि मोदी भक्ति के एवज में उन्हें ये सरकारी सुरक्षा मिली है. गौरतलब है कि इसके पहले ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी को सरकारी सुरक्षा दी गयी थी. इसलिए कहा जा रहा है कि सरकार धमकी के बहाने अपने पसंदीदा पत्रकारों को सरकारी सुरक्षा दे रही है और जो ख़बरों के माध्यम से सरकार की आलोचना कर रही है उसे निशाने पर लिया जा रहा है. अर्नब को सरकारी सुरक्षा दिए जाने के मुद्दे पर कुछ पत्रकारों के बयान –
अम्बरीष कुमार(वरिष्ठ पत्रकार) – भाजपा समर्थक पत्रकार को सरकार की सुरक्षा मिले इसमें कोई दिक्कत मुझे तो नजर नहीं आती .पर केंद्र एक नीति बनाकर देश के मुख्यधारा के सभी प्रमुख राजनैतिक दल का कोटा क्यों नहीं तय कर देती .मसलन अगर चार भाजपा के हो तो दो कांग्रेस के हो एक दो वामपंथी तो एकाध चरमपंथी दल को भी मिले .इसमें भी चैनल और प्रिंट का भेदभाव न हो .
मुकेश कुमार(वरिष्ठ पत्रकार)– लो जी अब अर्नब गोस्वामी भी वाई कैटेगरी की सिक्योरिटी के साथ चलेंगे। बाईस सुरक्षाकर्मी इस देश के महानतम अंधराष्ट्रवादी ऐंकर के आगे-पीछे तैनात रहेंगे, ताकि पाकिस्तानी आतंकवादी उन्हें नुकसान न पहुँचा सकें (हालाँकि देश हित में तो शायद यही ठीक होगा कि आतंकवादी अगर मच्छर मारने की ख़तरनाक़ मुहिम पर निकले ही हैं तो वे कामयाब हो जाएं)। इसके पहले एक और अंधराष्ट्रवादी पत्रकार-ऐंकर को भी इसी तरह की सुरक्षा मुहैया कराई गई थी।
नदीम एस.अख्तर(पत्रकार)- अरनब गोस्वामी को “पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण” उसी दिन मिल गया था, जिस दिन उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का Soft Interview लिया था. भारत सरकार की ओर से अरनब को मिली Y कैटिगरी की सुरक्षा उसकी पहली कड़ी भर है.