हरेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
बदले की भावना से काम करने वालों को सदैव याद रखना चाहिए कि वक्त का पहिया घूमता भी है।
दक्षिण भारत में एआईडीएमके पार्टी के प्रमुख जयललिता के साथ सत्तारूढ़ द्रमुक के करुणानिधि ने व्यक्तिगत दुर्भावना से कार्रवाई की थी और अगली बार जयललिता ने सत्ता में आते ही बदला भांज दिया।
अर्णब गोस्वामी किसी इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या के लिए दोषी हैं तो उसके लिए कानून का सहारा लीजिए।
यह केस 2018में बंद हो गया था और तब देवेंद्र फडणवीस की सरकार में शिवसेना भी सहयोगी थी।
अगर, फडणवीस ने कुछ गलत किया तो कोर्ट को उनपर एक्शन लेना था। अर्णब कोई दाऊद इब्राहिम या हाफिज़ सईद या कोई और आतंंकी तो नहीं, जिसके लिए एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नेतृत्व में 50 पुलिसकर्मियों की टीम सुबह-सुबह भेज दिया। पुलिस की यह कार्रवाई साफ और स्पष्ट बता रही है कि वह बदले की भावना से ग्रसित है।
पालघर में महाराष्ट्र पुलिस के हथियार बंद पुलिसकर्मियों के सामने पीट-पीटकर दो निर्दोष साधु और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी गई। महाराष्ट्र सरकार और पुलिस ने कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस तक न की।
दिशासालियान की हत्या को सुसाइड में डदलकर केस बंद कर दिया। इनका हौसला इतना बढ़ गया कि सुशांत सिंह की भी हत्या कर दी। अपराधी खुलेआम घूमते रहे। घटनास्थल को सील न किया गया। सबूत मिटाने के लिए सुशांत के घर का रंगोरोगन कर दिया।
सुशांत सिंह के 74साल के पिताजी द्वारा पटना के राजीव नगर में एफआईआर दर्ज कराने के बाद बिहार पुलिस की टीम ने सप्ताह भर के अंदर यह बता दिया कि दिशासालियान ने कोई आत्महत्या नहीं की थी। इतना ही नहीं दिशासालियान की हत्या करने वालों ने ही सुशांत सिंह की हत्या की है।
मुंबई पुलिस ने जिस तरह से बिहार पुलिस के साथ व्यवहार किया उसकी जितनी निंदा की जाए कम है। दिशासालियान केस की डायरी यह कहकर न दिया कि केस डायरी सिस्टम से डिलीट हो गई है।
पटना सिटी एसपी विनय तिवारी को क्वारंटाइन करनै वाली मुंबई पुलिस और बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने आमिर खान के तुर्की से आने पर किसी तरह के क्वारंटाइन की जरूरत नहीं समझी।
इसी मुंबई पुलिस के डीजीपी परमवीर सिंह ने बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का फोन तक रिसीव न किया था।
यही बृहन्मुंबई महानगरपालिका है जिसने कंगना रनोट का ऑफिस चौबीस घंटे में तोड़ दिया। वहीं, पर दूसरे कलाकारों द्वारा निर्मित ऑफिस जहां वास्थव में अतिक्रमण था, कोई कार्रवाई न हुई। कंगना रनोट और उनकी बहन रंगोली चंदेल पर मुंबई पुलिस ने कोर्ट की सहायता से एक साथ कई केस दर्ज किया है, ताकि उसे सबक सिखाया जाए। यहां लोकल कोर्ट और हाईकोर्ट भी महाराष्ट्र सरकार के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही है।
इन सबको देखकर पाकिस्तान में नवाज शरीफ के साथ वहां की सेना द्वारा पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई कार्रवाई याद आ गई। पाकिस्तान की सेना ने नवाज शरीफ को राजनीति में भाग लेने से रोककर अपने नये प्यादे इमरान खान को सत्तरूढ़ करने के लिए यह सब किया था। तब भारत के वामपंथियों ने पाकिस्तानी कोर्ट का खूब समर्थन किया था।
भारत में सत्तरूढ़ दल कांग्रेस और उसकी सहयोगी रही वामपंथी पार्टियों ने इस तरह की परिपाटी स्थापित कर दी है कि सत्ता का खुलेआम दुरुपयोग करने को यहां सही मान लिया जाता है। इस कारण से हत्या, बलात्कार, अपहरण, तस्करी जैसे जघन्यतम अपराधों में शामिल अपराधी भी स्थानीय पुलिस और कोर्ट से मिलीभगत कर सबूतों को या तो मिटाने या छेड़छाड़ करने में कामयाबी हासिल कर लेती रही है,जिसका फायदा ऐसे आपराधिक और भ्रष्टाचारी लोग उठाते रहे हैं। ऐसे अपराधियों कोर्ट से सबूतों के अभाव या छेड़छाड़ का फायदा मिलता रहा है।
हमारा तो साफ तौर पर मानना है कि कोई भी अपराधी हो, उसे न छोड़ें,लेकिन सत्ता का दुरुपयोग कर किसी का मुंह बंद करने के लिए तो न करें।
अर्णब ने महाराष्ट्र सरकार की हां में भां मिलाई होती तो क्या तब भी यह पुलिस और सरकार इस तरह का व्यवहार करती। इसका उत्तर-हमेशा न है।
अर्णब ने महाराष्ट्र सरकार से पालघर में संतों की भीड़ द्वारा हत्या, दिशासालियान और सुशांत सिंह की हत्या पर सवाल न पूछा भोता तो आज जो लोग महाराष्ट्र सरकार के साथ खड़े होकर अर्णब की गिरफ्तारी पर तालियां बजा रहे, वे भी शांत होते।
इंटीरियर डिजाइनर के साथ कुछ गलत हुआ है तो कानून की मदद से उसे न्याय दिलाने के लिए आगे आना सहघ बात है,लेकिन यहां तो साफ-साफ दिशासालियान और सुशांत के हत्यारे को बचाने के लिए किसी की आवाज़ को दबाने के लिए महाराष्ट्र सरकार पूरी ताकत से सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। यह साफ-साफ बता रहा है कि दिशासालियान और सुशांत सिंह की हत्या करनेवाला अपराधी महाराष्ट्र सरकार का अपना और बहुत करीबी है। नहीं तो कोई दूसरा कारण नहीं कि दिशासालियान और सुशांत सिंह की हत्या के तुरंत बाद शिवसेना के मुखपत्र सामना में इसे सुसाइड घोषित करने के लिए संजय राउत सुशांत को बायपोलर डिस ऑर्डर नाम की मानसिक बीमारी से पीड़ित, उनके पिता की दूसरी शादी। फिल्म न मिलना, सहित तमाम बातें लिखते। इसके लिए संजय राउत को शिवसेना ने इनाम देकर राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद दे दिया।
यह दाल में किला नहीं पूरी दाल ही काली है।
चिनॉय सेठ याद रखना, जिसके घर शीशे के बने भोते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते।
(लेखक के सोशल मीडिया वॉल से साभार)