अज्ञात कुमार
देहरादून। अमर उजाला देहरादून आजकल रोजाना ऐसी आधारहीन खबरें छाप रहा है जिनका उसे अगले दिन ही खंडन करना पड़ रहा है। कुछ समय पहले एक खबर छपी शीरा नीति को लेकर बाद में वह गलत निकली।फिर एक खबर छपी नीरज क्लीनिक को लेकर उसके मालिक पर लदे मुकदमे सरकार वापस करने वाली है। यह खबर भी झूठी निकली।
समाचार विश्लेषण भी ऐसे छप रहे हैं जैसे कि भाजपा के प्रवक्ता ने इमला लिखवाई हो। नतीजतन वे कोरी गप्प या झूठे साबित हो रहे हैं। संपादक हरीश सिंह अपना सर पीट रहे हैं। असल में यह सब हो रहा है उसके एक बाहरी सलाहकार संपादक की वजह से। जनाब पहले अमर उजाला में ही थे, रहने वाले पश्चिम यूपी के हैं लेकिन इस दौरान देहरादून के खड़े किए जाल बट्टे के कारोबार से ऐसा मोह पैदा हुआ कि तबादले से अच्छा नौकरी छोड़नी ही समझी। अब संघी पृष्ठभूमि के ये जनाब अमर उजाला के राज्य ब्यूरो के नए लोगों को अपने प्रभाव में लेकर अमर उजाला में गलत सलत और कभी सही खबरें छपवाकर देहरादून के सत्ता के गलियारों में यह संदेश पहुंचाने में कामयाब हो रहे हैं।
अमर उजाला में आज भी उनके इशारे पर ही खबरें छपती हैं ,अमर उजाला में अपने मन मुताबिक खबरें छपवानी हों तो उन्हें ही सुपारी दें। ये जनाब अमर उजाला में रहते हुए अपनी अपार बुद्धि का परिचय देते हुए यह हास्यास्पद खबर भी छाप चुके हैं कि उत्तराखंड को जीएसटी में छूट मिल गई है। यही नहीं हिंदुस्तान में रहते हुए जनाब ने एड्स की उत्पत्ति पर लिखा कि उसकी उत्पत्ति ग्रीन मंकी के अफ्रीकी औरतों का साथ बलात्कार करने से हुई। जिस पर तत्कालीन प्रधान संपादक मृणाल पांडे ने उन्हें बिसरपैर की बातों को खबर बना कर लिखने पर कड़ी फटकार लगाई थी।