अजय सर जैसे आप गए ऐसे भी जाता है कोई?

वरिष्ठ पत्रकार मीडिया खबर के मीडिया कॉनक्लेव में परिचर्चा में भाग लेते
वरिष्ठ पत्रकार मीडिया खबर के मीडिया कॉनक्लेव में परिचर्चा में भाग लेते

निमिष कुमार,पत्रकार

वरिष्ठ पत्रकार अजय नाथ झा का निधन

इंडिया शाइनिंग कैम्पेन के वक्त 36 विडों का चमत्कार करने के पीछे अजय झा का ही दिमाग था

वरिष्ठ पत्रकार मीडिया खबर के मीडिया कॉनक्लेव में परिचर्चा में भाग लेते
वरिष्ठ पत्रकार मीडिया खबर के मीडिया कॉनक्लेव में परिचर्चा में भाग लेते

रात सोते जाते वक्त जब मोबाइल पर नजर पड़ी तो फेसबुक देखकर बंद करना चाहा। सबसे ऊपर बैंगलोर से टीवी9 ग्रुप के अंग्रेजी चैनल न्यूज9 के एडिटर संदीप धर का स्टेटस था। अजय झा सर नहीं रहें। भरोसा नहीं हुआ, ये जानते हुए भी संदीप धर यदि एक वाक्य भी लिखते है, तो पूरी ईमानदारी से, जांच परख कर। ट्विट्रर पर न्यूज नेशन के बैंगलोर संवाददाता का ट्विट्ट था। फिर ट्विटटर पर मैसेज भेजा। वॉट्सअप पर मैसेज किए। सुबह तक एक दशक से ज्यादा का वक्त एक-एक पल होकर आंखों के सामने से गुजरता गया। मैं और संजय दीक्षित शायद अजय झा सर की इस जिंदगी के आखिरी वो दो जर्नलिस्ट होंगे, जिनसे अजय सर ने इतनी लंबी और इंत्मिनान से बात की होगी। क्योंकि वो बैंगलोर से लौटे थे और वापस बैंगलोर जाने वाले थे। मैसेज आया, अजय सर ने बुलाया है। ‘निमिष, एफसीसी आ जा’> दीपावली के पहले। फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट क्लब में दोपहर हम तीनों दो-तीन घंटे बैठे। इत्मीनान से बातें हुई। आगे क्या करना है, इस पर चर्चा की। वो आगे की योजनाओं को लेकर उत्साहित थे। ये जानते हुए भी कि बैंगलोर के प्रसिध्द हॉर्ट सर्जन देवी शेट्टी ने आराम करने की सलाह दी थी। कमजोर लग रहे थे, लेकिन सिर्फ शरीर से। मन और मस्तिष्क पहले से ज्यादा मजबूत था। कुछ बातें जो बाद में शेयर करुंगा।

अजय झा सर ने खूब जर्नलिस्म किया। बीसीसी वर्ल्ड सर्विस में रहते हुए दुनिया भर के पत्रकारों के साथ खूब स्टोरीज़ की। उनके देश-विदेश में बहुत से पत्रकार दोस्त थे, जो उन्हें भारत को लेकर बहुत सी खबरें बताया करते थे। ऐसे कई मेल उन्होंने बताए जो अपने आप में खासे धमाकेदार हो सकते थे। एनडीटीवी 24/7 में रहते हुए वो ऑउटपुट के मजबूत स्तंभ रहे। वो दीपक चौरसिया के बुलावे पर अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में डीडी न्यूज़ भी गए थे। इंडिया शाइनिंग कैम्पेन के वक्त 36 विडों का चमत्कार करने के पीछे अजय झा का ही दिमाग था। वो लोकसभा चैनल के संपादकीय सलाहकार रहे और लोकसभा अध्यक्ष के मीडिया एडवाइज़र भी रहे। डीडी न्यूज़ के संपादकीय सलाहकार के रुप में उनका कार्यकाल अभी 8 अक्टूबर को ही खत्म हुआ था।

अजय झा लोगों को अच्छा खासा शॉक देते थे अपनी बहुभाषी प्रतिभा से। अंग्रेजी के पत्रकार रहते हुए उनका हिन्दी पर इतना शानदार कमांड था, कि हिन्दी में खुद को तीसमाखां पत्रकार समझने वाले पानी भरने लगे। शानदार उर्दू थी। शेयर-ओ-शायरी की झलक तो सबको उनके फेसबुक स्टेट्स से मिल ही जाती थी। संस्कृत पर उनका अधिकार उनके लिए सम्मान को बढ़ा देता है। कन्नड़ में वो कर्नाटक वालों को पीछे छोड़ देते थे। मराठी बोलते थे, तो राज ठाकरे को ये पता लगाना मुशकिल हो जाता कि अजय झा सर बिहार से थे, जाने-माने नेतरहाट स्कूल एलुमनी थे। बांग्ला पर उनका अधिकार सुनकर लगता था, वो bihari, born & brought in bengal लगते थे।

लेकिन हमारे अजय सर आज के दांवपेंच को अपनाने को लेकर कभी राजी नहीं हुए। जनलिस्ट ही रहे, लाइसेंनर नहीं बन पाए। बहुत-सी और बातें, जो बाद में शेयर करुंगा। फिलहाल दोस्तों, एक ऐसे सीनियर के जाने का शोक मनाने का वक्त है, जो अपने जूनियर्स के लिए बहुत कुछ था। बिना किसी स्वार्थ के। कहते है भगवान को भी अब अच्छे लोगों की जरुरत होने लगी है, शायद इसीलिए हमारे अजय सर को बुला लिया। लेकिन अजय झा सर, सिर्फ 54 साल की उम्र भी कोई उमर होती है जाने की, उस अनंत यात्रा पर, जिससे वापस नहीं आता है कोई। लेकिन ajay jha sir, जैसे आप गए ऐसे भी जाता है कोई? — feeling sad

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.