आज न्यूज़ चैनलों का एसिड टेस्ट है. हम उन चेहरों को देखने के लिए बेताब हैं जो एक दिन पहले तक खबरें पढते हुए गमगीन दिख रहे थे. क्या आज उन्हीं एंकरों के चेहरे पर नए साल का जश्न दिखेगा?
यदि ऐसा होता है तो फिर जो भी संशय था वह खतम हो जाएगा और यकीन हो जाएगा कि कठपुतली से ज्यादा इनकी कोई हैसियत नहीं. चैनलों के घडियाली आंसू का सच भी सामने आ जाएगा.
मीडिया खबर डॉट कॉम अपील करता है कि नए वर्ष का जश्न जो मनाना चाहते हैं, जरूर मनाएं. लेकिन उसका उसका सार्वजनिक प्रदर्शन न करें. नए साल की शुभकामना न दें. ये सेलिब्रेशन नहीं रेवलूशन का समय है.
उन चैनलों का बहिष्कार कीजिये जो नए साल पर गोवा की रंगीनिया और मल्लिका, बिपाशा या सन्नी लियोन के ठुमके दिखायेंगे. उसकी चिता की राख पर हम जश्न कैसे मना सकते हैं?
याद रखिये ये सेलिब्रेशन नहीं रेवलूशन का समय है और न्यूज़ चैनलों को भी रेवलूशन ही दिखाना चाहिए. नहीं तो चैनलों की नीयत पर भी संदेह होगा.