सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता की मौत के मातम में लोगों ने नए साल का जश्न नहीं मनाया. न्यूज़ चैनलों ने मातम को जश्न में तब्दील नहीं होने दिया और जश्न से टीवी स्क्रीन को दूर रखा.
वर्ष 2013 के आगमन पर जश्न की रंगीनियाँ और पटाखों के शोर की बजाये न्यूज़ चैनलों पर मोबत्तियां और इन्साफ की पुकार की आवाज़ देखी – सुनी गयी.
चैनलों पर स्लो पेश से ख़बरें चली. गंभीरता बनी रही और दुष्कर्म के विविध पहलुओं पर चर्चाएँ भी चलती रही.
लेकिन साल खत्म हो रहा था और पूरे साल का एक राउंडअप भी दिखाना जरूरी था. एनडीटीवी इंडिया ने फ़िल्मी दुनिया की खबर दिखाई तो एबीपी न्यूज़ ने एक नायाब तरीका निकाला. उसने एक कार्यक्रम बनाया, ‘कहाँ तुम चले गए’.
‘कहाँ तुम चले गए’ में उन हस्तियों के बारे में बताया जा रहा है जिनका पिछले साल निधन हो गया. उनका प्रोफाइल भी बताया गया. बेहद उम्दा तरीके से चीजों को दिखाया गया.
इच्छाशक्ति हो तो रास्ते निकल ही आते हैं. एबीपी न्यूज़ का यह कार्यक्रम इसका बेहतरीन नमूना है. कार्यक्रम देखकर कहने को यही जी में आया कि एबीपी न्यूज़ कहाँ तुम चले गए थे ? एबीपी न्यूज़ के संपादक शाजी ज़मा को बधाई.