आजतक की पत्रकारिता बनाम मेल टुडे की पीत पत्रकारिता

aajtak no celebrationदिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म और उस अनामी लड़की की मौत के बाद देश भर में शोक, संवेदना के साथ – साथ आक्रोश की लहर फैल गयी है. यहाँ तक कि लोगों ने नए साल का जश्न भी नहीं मनाया और रातभर कैंडल मार्च और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ऐसे मामलातों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराते रहे.

न्यूज़ चैनलों पर लगातार ये खबरें चलती रही और इंडिया टुडे ग्रुप के चैनल आजतक ने साफ़ तौर पर लिखा कि जश्न नहीं जज्बात की रात. वाकई में ये जज्बात की रात थी और आने वाली कई और रातें जज्बात की रात रहेगी. दूसरे चैनल भी ऐसा ही करते और कहते नज़र आये.किसी चैनल पर कोई जश्न नहीं.न्यूज़ चैनलों पर पिछले 15 दिनों से उसी अनामी लड़की को लेकर खबरें चल रही है. इस दौरान कुछ –कुछ तमाशे भी हुए, आलोचना भी हुई. लेकिन इस सबके दरम्यान चैनलों ने एक काबिलेतारीफ काम किया कि उस लड़की या उसके परिवार की कोई भी पहचान टीवी स्क्रीन के माध्यम से जाहिर नहीं की.

आजतक जो इस खबर को लीड कर रहा था उसने भी नहीं जाहिर किया और न किसी और चैनल ने. यहाँ तक कि मनोहर कहानियां माना जाने वाला इंडिया टीवी ने भी इस नैतिकता का पालन किया और उसका काल्पनिक नाम दामिनी रख दिया. उसकी मौत के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा.

लेकिन न्यूज़ चैनलों ने जो काम नहीं किया, संयम रखा, वह काम अंग्रेजी अखबार मेल टुडे ने कर दिया. पत्रकारिता की नैतिकता को धत्ता बताते हुए, मेल टुडे ने अपने संस्करण में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़ित लड़की का नाम और घर की असली तस्वीर छाप दी और उस परिवार की निजता को तार – तार कर पीत पत्रकारिता का नमूना पेश किया.

दिल्ली पुलिस ने केस भी दर्ज कर लिया है. लेकिन सवाल उठता है कि एक ही ग्रुप के न्यूज़ चैनल और अखबार में अलग – अलग तरह की मानसिकता क्यों?

आजतक ने एक ओर जहाँ इस मामले में पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन किया तो दूसरी तरफ उसी इंडिया टुडे ग्रुप के अखबार मेल टुडे ने पीड़िता के नाम और उसके घर का पता छाप कर पीत पत्रकारिता की नयी मिसाल कायम की?

अक्सर हम न्यूज़ चैनलों पर सनसनी और पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों को तोड़ने का आरोप लगाते हैं लेकिन प्रिंट मीडिया भी इस मामले में पीछे नहीं और कई बार तो वह न्यूज़ चैनलों से भी आगे निकल जाता है. इसी ग्रुप की पत्रिका इंडिया टुडे के सेक्स सर्वे के कवर पेज को हम पहले देख चुके हैं.

न्यूज़ चैनलों में तो टीआरपी और ब्रेकिंग न्यूज़ की हड़बड़ी में कई बार ऐसी गलतियां हो जाती है, लेकिन अखबारों को क्या हड़बड़ी?

न्यूज़24 के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम ने भी अपने एफबी वॉल पर इस संदर्भ में टिप्पणी करते हुए लिखा है कि, ‘मुझे हैरत है कि मेल टुडे जैसे अख़बार ने आज रेप पीड़ित लड़की का असली नाम और घर की तस्वीर कैसे छाप दी है. इंडिया टुडे समूह के अखबार मेल टुडे के संपादक को क्या ये नहीं पता कि रेप पीड़ित की पहचान जाहिर करना अपराध है. इस गैरजिम्मेदाराना हरकत के लिए अखबार को माफी मांगनी चाहिेए.

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