एबीपी न्यूज की पट्टी पर आजतक का नाम, देखिए बड़प्पन इसे कहते हैं!

जब दिल बड़ा करके एबीपी न्यूज ने -आज तक- का नाम अपनी स्क्रीन पर फ्लैश किया

एबीपी के स्क्रीन पर आजतक
एबीपी के स्क्रीन पर आजतक

टीआरपी रेटिंग वाली टेलिविजन पत्रकारिता के इस दौर में एबीपी न्यूज चैनल का यह कदम सराहनीय, प्रशंसनीय और अनुकरणीय है. कल न्यूज चैनल -आज तक- ने पहले से ही बदनाम दिल्ली पुलिस की पोल-खोल करके उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को एक बार फिर उजागर किया और स्टिंग ऑपरेशन में ये दिखाया कि कैसे दिल्ली पुलिस का सिपाही से लेकर एसएचओ तक हरे-लाल नोटों की खातिर वर्दी और उस पर जड़े सितारों को बेचने के लिए तैयार बैठा है. खरीद सको तो खरीद लो. पांच सौ-हजार रुपये में ही आप कानून को खरीद सकते हैं, ये जानकर देश को तो शर्म आई लेकिन मुझे नहीं लगता कि दिल्ली पुलिस को आई होगी.

खैर, बात हो रही थी एबीपी न्यूज की. आमतौर पर ये देखा जाता है कि अगर किसी हिन्दी न्यूज चैनल ने कोई स्टिंग किया है तो प्रतिद्वन्द्वी हिन्दी न्यूज चैनल उस स्टिंग और उससे जुड़ी खबर को लगभग नजरअंदाज कर देता है. अगर बहुत मजबूरी हुई, खबर बड़ी हो गई तो खबर दिखा देता है, टिकर-पट्टी स्क्रीन पर चला देता है लेकिन ये स्टिंग किस हिन्दी न्यूज चैनल ने किया है, ये बात प्रतिद्वन्द्वी हिन्दी न्यूज चैनल नहीं बताता. हां, अगर अंग्रेजी न्यूज चैनल का स्टिंग है तो हिन्दी न्यूज चैनल उस अंग्रेजी चैनल का नाम बता देते हैं. अंग्रेजी न्यूज चैनल भी बड़ा स्टिंग होने पर आमतौर पे अपने प्रतिद्वंदी अंग्रेजी न्यूज चैनल का नाम नहीं बताते. अगर स्टिंग ऑपरेशन करने वाला चैनल हिंदी का है तभी अंग्रेजी न्यूज चैनल, संबंधित न्यूज चैनल का नाम बताते हैं, फ्लैश करते हैं. कारण साफ है. टीआरपी की इस रेस में सभी न्यूज चैनलों को ये डर होता है कि बड़ी खबर ब्रेक करने वाले या स्टिंग दिखाने वाले चैनल का नाम अगर वो बताएंगे (खासकर अगर संबंधित चैनल से टीआरपी में उसकी प्रतियोगिता है), तो दर्शक प्रतियोगी चैनल पर शिफ्ट हो जाएंगे, जहां वह खबर-स्टिंग दिखाया जा रहा होगा. सो कोई चैनल ये रिस्क नहीं लेता. खबर भले दिखा-बता दे, चैनल का नाम तो कतई नहीं बताता. अमूमन तो ये होता है कि अगर कोई चैनल किसी खास समय पर कोई बड़ा प्रोग्राम या शो लेकर आ रहा है तो प्रतियोगी चैनलों में इस बात की खदबदाहट होती है कि ठीक उसी समय पर कौन सा प्रोग्राम-शो हम दिखाएं ताकि दर्शक हमारे चैनल पर आएं-बरकरार रहें, उधर शिफ्ट ना हों.

लेकिन कल एबीपी न्यूज ने इस परम्परा को तोड़ा है. एक नई लकीर खींची है. -आज तक- न्यूज चैनल से इसकी सीधी प्रतियोगिता है, टक्कर है, फिर भी दिल बड़ा करके एबीपी न्यूज ने ना सिर्फ -आज तक- के स्टिंग का तुरंत संज्ञान लिया बल्कि ये भी बताया कि ये स्टिंग -आज तक- न्यूज चैनल ने किया है. स्क्रीन पर -आज तक- चैनल का नाम भी फ्लैश किया, इस बात की परवाह किए बिना कि संबंधित स्टिंग-खबर देखने के लिए कहीं उसके दर्शक -आज तक- चैनल पर शिफ्ट ना हो जाएं. प्रिंट में भी कई बार मुझे यही ट्रेंड दिखता है. बड़ी खबर ब्रेक करने पर उसी भाषा का प्रतियोगी अखबार या तो संबंधित खबर को गोल कर जाता है या फिर उस खबर के फॉलोअप में खबर ब्रेक करने वाले अखबार को क्रेडिट नहीं देता. ये आपसी प्रतिद्वंद्विता का मामला होता है.

लेकिन -आज तक- न्यूज चैनल को क्रेडिट देकर उसका नाम अपने चैनल पर फ्लैश करने वाला एबीपी न्यूज का यह कद व्यक्तिगत तौर पर मुझे यह बहुत अच्छा लगा. भाई हम तो खबरों के कारोबार में हैं. सो अगर दूसरा मीडिया संस्थान कोई बड़ी खबर ब्रेक करता है, तो उसे दिखाने में क्या हर्ज है. और साथ में अगर अपने न्यूज चैनल/अखबार में उस खबर के लिए प्रतिद्वंद्वी का नाम भी बता दिया जाए तो सोने पे सुहागा. कहना ही क्या. बतौर एक दर्शक और पाठक हम उम्मीद करेंगे कि आगे से दूसरे न्यूज चैनल और अखबार भी दिल बड़ा करके बड़ी खबर ब्रेक करने वाले मीडिया संस्थान के नाम को अपनी खबर में जगह देंगे, खासकर तब, जब संबंधित मीडिया संस्थान से खबरों के मामले में उसकी सीधी टक्कर हो. आप भी देखिए, किस तरह एबीपी न्यूज ने -आज तक- के नाम को अपनी स्क्रीन पर फ्लैश किया. नीचे ब्रेकिंग न्यूज की पट्टी पर निगाह डालिए.

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