अभिषेक उपाध्याय,पत्रकार,इंडिया टीवी
पत्रकार की डायरी
अलविदा बनारस! गुज़रे करीब एक महीने में एक एक लम्हा जिया इस जमीन पर। इस कदर अपनापा हो गया है कि छोड़ते हुए मुश्किल हो रही है। इतने शानदार लोग कि जेहन से जाते ही नही। इलाहाबाद में जी चुका हूँ, इसलिए जानता हूँ कि एक ठहरकर चलता शहर बहुत भीतर तक बाँध लेता है। फिर भी जाना तो होता ही है, मगर फिर उठेंगे किसी दिन उसी गंगा किनारे डमरू बजाने को, उन्ही बनारस की गलियों में दौड़ जाने को, स्क्रीन पर अपनी तस्वीर के ऊपर “वाराणसी से LIVE रिपोर्ट ” फिर से लिखवाने को, बनारस के इश्क में खो जाने को। सलाम बनारस। खुद के एक हिस्से को यहीं छोडकर पर तुम्हें पूरा का पूरा साथ लेकर जा रहा हूँ:) (स्रोत -एफबी)