अभिषेक उपाध्याय
इंस्टीट्यूट फॉर सोशल डेमोक्रेसी के एक्जिक्विटिव डायरेक्टर खुर्शीद अनवर पर बलात्कार का आरोप लगा। इंडिया टीवी ने इसपर बाकायदा खबर चलायी और उसके ठीक बाद खुर्शीद अनवर ने छत से कूद कर जान दे दी। उसके बाद इससे जुडे कई तथ्य एक -के-बाद-एक सामने आने लगे. इंडिया टीवी पर आरोप लगा कि उसने टीआरपी की आग में गैर जिम्मेदाराना पत्रकारिता का परिचय दिया. इन्हीं सब आरोपों का जवाब इंडिया टीवी के पत्रकार ‘अभिषेक उपाध्याय’ ने फेसबुक वॉल पर दिया और एक तरह से अपनी स्टोरी का बचाव किया है. मीडिया खबर के पाठकों के लिए उसे हम यहाँ पेश कर रहे हैं (मॉडरेटर)
लड़की अपने बयान पर कायम। इंडिया टीवी अपनी खबर पर कायम।
आज इंडियन एक्सप्रेस ने भी लिखा है कि लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया कि न सिर्फ उसके साथ रेप किया गया, बल्कि उसे “सोडोमाइज” भी किया गया। दिल्ली पुलिस के डीसीपी साउथ बीएस जायसवाल का “ऑन रिकार्ड” बयान भी छपा है। उसके दोस्तों ने जिस तरह से उसके कपड़े धो दिए, सबूत मिटाने की कोशिशें की, उसका भी जिक्र है। यह भी लिखा है कि राष्ट्रीय महिला आयोग को इस सिलसिले में 14 नवंबर को पहली शिकायत की गई थी। यानि मामले धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था। दुआ कीजिए कि ये अंजाम तक पहुंचे। दामिनी या निर्भया को इंसाफ के समर्थन में उठी सबसे मजबूत आवाज को इंसाफ मिले।
खास बात यह है कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग जो पीड़िता के चरित्र हनन का ठेका उठाए हुए हैं, उनके भी नाम पुलिस के पूछताछ की लिस्ट में हैं। उन पर सबूत मिटाने का सीधा आरोप है। ऐसे में उनकी घबड़ाहट और पीड़िता के चरित्र हनन की उनकी हड़बड़ी समझी जा सकती है। मगर मीडिया के कुछ स्वनाम धन्य पत्रकार जो इस मामले में पूरे जी जान से पीड़िता के चरित्र हनन में जुट गए हैं, उनसे भी पूछिए कि उनका खबरिया चरित्र क्या है।
आज तक के दीपक शर्मा इसलिए बलात्कार पीड़िता के चरित्र पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि वो शराबनोशी की आदत का शिकार थी। क्योंकि उसने तुरंत पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की। क्योंकि उसने तुरंत मेडिकल क्यूं नहीं कराया। इनसे पूछिए कि इनका चैनल जब नारायण साई और आसाराम पर गुलछर्रे चलाता है तो क्या उस वक्त ये उस पीड़िता के चरित्र की पड़ताल कर चुके होते हैं? क्या इन्हें मालूम है कि नारायण साईं के खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाने वाली सूरत की लड़की को सालों बाद बलात्कार की याद क्यूं आईं? इतने सालों तक कहां थी वो? क्या वो पन्ना टायलेट पेपर के साथ डस्ट बिन में चला गया जहां इससे जुड़े सवाल लिखे थे? क्या इन्हें अहसास है कि आसाराम के खिलाफ जो पूर्व सेवादारों की फौज ये टीवी पर खड़ी करते रहे जो एक “ब्लैक आउट फ्रेम” के भीतर खड़े होकर रोज आसाराम के यौन उत्पीड़न अभियान की एक नई कहानी बयां करते रहे, क्या उन कहानियों में पुलिस शिकायत दर्ज हो चुकी थी? क्या वे पीड़िताएं पुलिस के सामने कभी गईं थीं? अरे वे तो आज तक सामने नहीं आईं हैं। इनसे पूछिए कि तरूण तेजपाल मामले में एफआईआर कब हुई थी और खबर चलाना शुरू कब से किया था? क्या तरूण तेजपाल की पूजा की थी, इन्होंने अपने चैनल पर? उस वक्त जब एफआईआर भी नहीं हुई थी और जब लड़की भी सामने नहीं थी और उस वक्त भी जब ये अपने चैनल पर तरुण तेजपाल के पौरूष का भरा पूरा कार्यक्रम चला रहे थे, तब क्या खुर्शीद अनवर के मामले में एकाएक पैदा हुई चेतना घास चरने गई थी? तब क्या मीडिया ट्रायल नहीं बल्कि आरती उतार रहे थे तरुण तेजपाल की?
और इनसे ये भी पूछिए कि जस्टिस गांगुली मामले में आज तक एफआईआर नहीं है, क्या इस मामले में पीड़िता के चरित्र की एफएसएल रिपोर्ट इन्होंने हैदराबाद की फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री से मंगवा ली है? इतने बड़े मामले में जो 16 दिसंबर के दामिनी कांड के विरोध में उठे जनसैलाब के सबसे बड़े चेहरे के साथ हुए बलात्कार से जुड़ा हुआ है, अगर आपको तथ्य पता ही नहीं लगते हैं– अगर आपको ये पता ही नहीं चलता है कि ये मामला
1–14 नवंबर से ही राष्ट्रीय महिला आयोग के पास है
2- अगर आपको पता ही नहीं चलता है कि इस मामले में खुद खुर्शीद अनवर के एनजीओ की तीन महिला बोर्ड मेंबर्स ने 29 नवंबर 2013 को ईमेल करके उनके विरोध में अपना इस्तीफा सौंपा है।
3– अगर आपको पता ही नहीं चलता है कि ये महिला बोर्ड मेंबर खुर्शीद की इजाजत के साथ उनके दोस्तों की ओर से पीड़िता के चरित्र हनन करने, खुर्शीद के इस तथ्य को छिपाने, बलात्कार के इस मामले को छोटा मोटा आरोप करार देने और इन हालातों में भी अपने पद से चिपके रहने से बुरी तरह आहत थीं। ये उन्होंने मेल में लिखा है। और इसलिए इस्तीफा दिया है।
4–अगर आपको पता ही नहीं चलता कि खुर्शीद अनवर के खिलाफ खुद उनके एनजीओ इंस्टीट्यूट फार सोशल डेमोक्रेसी से भी जांच शुरू कर दी गई थी और पीड़िता को 26 नवंबर 2013 को बाकायदा चिट्ठी भी भेजी गई थी कि बस इतना बता दो कि क्या अपने बयान पर कायम हो, हम खुद एक्शन लेंगें।
5– अगर आपको पता ही नहीं चलता है कि इस जांच कमेटी से खुर्शीद अनवर को बाहर कर दिया गया था।
6–अगर आपको पता ही नहीं चलता है कि इस मामले में बाकायदा दिल्ली के वसंत कुंज नार्थ थाने में एफआईआर भी दर्ज हो गई थी।
7– अगर आपको पता ही नहीं चलता है कि पीड़िता ने आगे आकर अपने बयान की पुष्टि कर दी थी।
8– अगर आपको पता ही नहीं चलता है कि न सिर्फ मधु किश्वर बल्कि वामपंथी महिला अधिकार वादी कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने पीड़िता को इंसाफ दिलाने की खातिर बड़ी भूमिका अदा की थी।
9– अगर आपको पता ही नहीं चलता है कि कविता कृष्णनन के दखल के बाद ही खुर्शीद अनवर के एनजीओ ने अपने ही डायरेक्टर के खिलाफ जांच बिठा दी थी
10– अगर आपको पता ही नहीं चलता है कि खुर्शीद अनवर का भी पक्ष स्टोरी का हिस्सा था जिसमें उन्होंने आरोपों का खुलकर जवाब दिया था और यह भी कहा था कि वे किसी भी स्क्रूटनी के लिए तैयार हैं, और खुद चाहतें हैं कि इस मामलें में जांच हो।
11– अगर आपको पता ही नहीं चलता हो कि इतने सारे तथ्यों के साथ इंडिया टीवी ने स्टोरी की थी तो कृपया अपने आपको थोड़ा समय दें। अपने आप पर विचार करें। खबर छूटने की झल्लाहट पीड़िता का चरित्र हनन करके न निकालें। पीड़िता का चरित्र हनन बिल्कुल न करें। और ये भी जान लें कि ये दाऊद की स्टोरी नहीं है जो सुनी सुनाई बातों पर एयर हो जाएगी। …………. ये मामला रोज ही नए तथ्यों के साथ आगे बढ़ रहा है।
सीमोन द बोउवार और सात्र को पढ़ने वाले विचारकों और बौद्धिक आत्माओं से अनुरोध है, थोड़ा इन्हें जीकर भी दिखाएं। सीमोन ने स्त्री के बारे में कहा था–“स्त्री कहीं झुंड बनाकर नहीं रहती। वह पूरी मानवता का आधा हिस्सा होते हुए भी पूरी एक जाति नहीं। गुलाम अपनी गुलामी से परिचित है और एक काला आदमी अपने रंग से, पर स्त्री घरों, अलग-अलग वर्गों एवं भिन्न-भिन्न जातियों में बिखरी हुई है।” इस बिखरे हुए सच को सिर्फ इसलिए झुठलाने की कोशिश न करें क्योंकि यहां मसला आपके व्यक्तिगत संबंधों, संपर्कों और व्यक्तिगत प्रतिबद्धता का है।