यौन शोषण प्रकरण में पैनल में बिठाने से पहले जरा संपादकों का चरित्र भी जान लें

पैनल में बिठाने से पहले जरा इन पुराने पत्रकारों के बारे में भी पता कर लीजिए जनाब!

आवश्यक सूचनाः सभी टीवी चैनलों के असाइनमेंट-इनपुट-आउटपुट से अपील है कि तहलका यौन शोषण प्रकरण में महिलाओं के पक्ष पर चर्चा के लिए सम्पादकों-पत्रकारों का गेस्ट पैनल बनाने से पहले उन महान सम्पादकों-पत्रकारों के बैकग्राउंड की जांच जरूर कर लें. ऐसा ना हो कि अतीत में उन पर भी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और यौन शोषण के आरोप लगे हों और कंपनी मैनेजमेंट की मिलीभगत से साहब ‘बाइज्जत बरी’ कर दिए गए हों.

ऐसा इसलिे कह रहा हूं कि एक प्रतिष्ठित प्रोग्राम में पत्रकारों का जो पैनल था, उसमें वह सम्पादक भी मौजूद थे, जिनका महिलाओं के मामले में ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. दिल्ली की पत्रकारिता के सभी पुराने लोग इस मामले को भली-भांति जानते हैं. सो उन सम्पादक महोदय के मुंह से पैनल डिस्कशन में महिलाओं के पक्ष में बात करना बहुत नकली-बनावटी-फरेबी और नौटंकी की तरह लगा. समझने वाले इशारा समझ गए होंगे. वैसे लोगों की क्यों पैनल डिस्कशन में बुलाते हैं जिनकी खुद की उस मामले में कोई क्रेडिबिलिटी  नहीं है. टीवी की दुनिया के नए बच्चे (गेस्ट कोऑर्डिनेटर-असाइनमेंट-आउटपुट वाले) शायद पुराने पत्रकारों के बारे में ज्यादा ना जानते हों, तो क्या उनके यहां के सीनियर लोग भी नहीं जानते??!! या यहां भी दोस्ती-यारी निभाई जा रही है. मुंशी प्रेमचंद की शब्दों में—क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं करोगे???!!!

 

(स्रोत-एफबी)

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