अभिषेक श्रीवास्तव
महीनों बाद आज घंटे भर के लिए टीवी खोला तो देखा, चारों ओर जंग का माहौल है। इस बीच दस बजे पुण्य प्रसून हाथ मलते हुए अवतरित हुए तो मीर की याद के साथ। उनके पीछे परदे पर लिखा था, ”आगे-आगे देखिए होता है क्या…।”
जंग के माहौल के बीच इश्क़ की बात करना गुनाह है, लेकिन उन्होंने संदर्भ-प्रसंग सहित मीर के इस मशहूर शेर की न सिर्फ व्याख्या की, बल्कि महेश भट्ट के जन्मदिन पर जाते-जाते ज़ख्म का गीत भी सुना दिया- तुम आए तो आया मुझे याद…!
क्या? ”लव इन दि टाइम ऑफ कॉलरा”! मार्खेज़! गली या चांद नहीं। प्रसून वैसे तो ऐसे ही हैं, लेकिन कभी-कभी चुपचाप अपना काम कर जाते हैं। पत्रकार जैसे भी हों, आदमी ज़हीन जान पड़ते हैं। सॉरी, ज़हीन नहीं… जहीन! जाहिर है, जाहिर है।
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