संजय तिवारी,पत्रकार
पाकिस्तान से आनेवाली परमाणु धमकियां बढ़ गयी हैं। पहले टीवी पर कुछ चरमपंथी धमकी देते थे। अब विदेश और रक्षा मंत्री भी परमाणु हमले की धमकी देने लगे हैं। इससे भारत को कोई खतरा हो न हो पाकिस्तान जरूर खतरे में पड़ जाएगा। वह जितना परमाणु बम की धमकी देगा दुनिया उतना उसके खिलाफ होती जाएगी। वह दिन दूर नहीं जब उसके परमाणु जखीरे पर निगरानी रखने के लिए दुनियाभर की ताकते एक हो जाएंगी। यह भी हो सकता है कि उस पर कूटनीतिक हमला करके उसका परमाणु हथियार छीन लिया जाए या फिर पाकिस्तान को ऐसे गृहयुद्ध में फंसा दिया जाए कि उसके परमाणु हथियार अपने आप संयुक्त राष्ट्र की सेनाओं के हाथ में चले जाएं।
निश्चित रूप से दबाव बढ़ा तो चीन, सऊदी अरब और तुर्की पाकिस्तान की मदद करेंगे। लेकिन मामला परमाणु बम का हो तो दुनिया में कोई ताकत ऐसे देश की बहुत लंबे समय तक मदद नहीं कर सकता जो बात बात में परमाणु बम चलाने की धमकी देता हो। जो भी होगा, पाकिस्तान बहुत तेजी से परमाणु पतन की ओर आगे बढ़ रहा है। जिस परमाणु बम को भुट्टो ने इस्लामिक बम बताकर पाकिस्तान की ताकत बनाया था वही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो जाएगा।
हो सकता है भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध हो, हो सकता है न भी हो। बदली दुनिया में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो आक्रामक रुख अख्तियार किया है वह रणनीतिक और कूटनीतिक है। पाकिस्तान पूरी तरह से अपने पाले हुए आतंकियों के पाले में चला गया है। अब वह आतंकवाद पर काबू नहीं पा सकता। आतंकवादी ही उस पर काबू पायेंगे। ऐसे माहौल में कूटनीतिक हमला सामरिक हमले से ज्यादा महत्वपूर्ण और निर्णायक होगा। ठीक उसी तरह जैसे अमेरिका ने किसी जमाने में सोवियत संघ पर किया था। दुनिया के दो परमाणु देश टकराये और बंदूक से एक गोली तक नहीं चली, सारे परमाणु हथियार धरे रह गये और सोवियत संघ का पतन हो गया। लोकतंत्र में आक्रामक कूटनीति आक्रामक युद्ध से ज्यादा विध्वंसक होती है।
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