विभांशु दिव्याल
बीकेडी के घर हुई कुर्की में चार जिन्दा बम मिले। कुर्की कर रहे चौबेपुर थानाध्यक्ष के अनुसार ‘नियमनुसार चारो बमों को पीएसी के सेनानायक विजय बहादुर की उपस्थिति में फोड़ दिया गया। बम इतने शक्तिशाली थे कि उनके धमाके से पूरा गांव हिल गया।’
इस खबर की कवरेज के लिए ‘कैमरा गिरोह’ के दो अनमोल रतन, ‘हीरा’ और ‘पन्ना’ के साथ ‘श्री श्री 1008’ न्यूज़ चैनल के ‘जिलाध्यक्ष’ (ब्यूरो चीफ) अपने कैमरामैन के साथ घटनास्थल पर गए थे। ‘हीरा’ और ‘पन्ना’ को सारे ‘जिलाध्यक्ष’ और ‘सचिव'(स्ट्रिंगर) ‘बैल’ मानते हैं। ‘हीरा’ और ‘पन्ना’ मीडिया की ‘प्राथमिक शिक्षा’ से वंचित हैं इसीलिए दोनों ख़बरों के लिए जल, थल और आकाश को चौबीस घंटे एक किये रहते हैं। ‘जिलाध्यक्षों’ और ‘सचिवों’ को दिन भर की ख़बरें देने के बाद ‘हीरा’ और ‘पन्ना’ को मेहनताने के रूप में उन ख़बरों की स्क्रिप्ट दे दी जाती है।
‘हीरा’ और ‘पन्ना’ ठहरे बैल तो इनसे खबरों का एंगल पकड़ने की विशेष उम्मीद नहीं की जा सकती। बम फटा, जोरदार धमाका हुआ, पूरा गांव हिल गया। . लेकिन ‘श्री श्री 1008’ न्यूज़ चैनल के ‘जिलाध्यक्ष’ का भेजा नहीं फटा. ‘ना खाता ना बही, पुलिस जो कहे वो सही’ की प्रिंट वाली परंपरा का पालन करते हुए ‘जिलाध्यक्ष’ महोदय बाईट लेने के बाद शहर लौट आये. ना ही किसी गांव वाले से पूछने की हिम्मत कर सके कि बम का धमाका कितना तेज था? ना ही उस स्थान को देखने गए जहां बम फटा. थानाध्यक्ष के अनुसार धमाका इतना तेज था कि पूरा गांव हिल गया. इतने शक्तिशाली विस्फोट के बाद निश्चित ही बम गिरने की जगह जमीन में कम से कम ‘चुल्लू भर’ गड्ढा जरूर होना चाहिए। इसके आगे अब बताने की जरूरत नहीं कि बीकेडी के घर हुई कुर्की से बड़ी खबर क्या बनती।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ जिला पुलिस द्वारा किये जा रहे भेदभाव का जवाब देने और संगठित होने के लिए एक एसोसिएशन बना ली गई लेकिन पुलिस की मनमानी और तानाशाही का जवाब अपनी कलम और खबर से देने की हिम्मत किसी में नहीं पैदा हुई. आईपीसी की धारा 160 के आतंक से एसोसिएशन के सदस्यों की सक्रियता सिर्फ ‘पद यात्रा’ और ‘श्रद्धांजलि’ तक ही सीमित है.
चलते चलते . . . . . जी न्यूज़ उत्तर प्रदेश/ उत्तराखंड के स्ट्रिंगर रामसुन्दर मिश्रा का त्यागपत्र प्रबंधन ने मंजूर कर लिया है. हैप्पी एंडिंग