राजनीति में वक्त के नजाकत के हिसाब से जुबान बदलती है. दुश्मन-दोस्त और दोस्त-दुश्मन में तब्दील हो जाता है. लोकसभा चुनाव के दरम्यान प्रधानमंत्री मोदी ने जिस शरद पवार की पार्टी को नेचुरल करप्ट पार्टी (एनसीपी) तक कह डाला था उसी के मुखिया शरद पवार को अब उन्हीं के सरकार ने देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित किया है. शरद पवार को पद्मविभूषण सम्मान मिलते ही पत्रकारिता जगत से कई त्वरित प्रतिक्रियाएं आयी, जिसमें सरकार के इस फैसले को लेकर खिंचाई की गयी है. कुछ प्रतिक्रियाएं –
संजय तिवारी –
१-चुनाव होने ही वाले थे। गाजे बाजे बज रहे थे। युद्ध के मैदान में नेताओं और समर्थकों की सेनाएं डटीं हुई थीं। एक तरफ से मोदी ने ललकारते हुए कहा, वह नेचुरल करप्ट पार्टी है। पलटवार करते हुए शरद पवार ने कहा, इसे पागलखाने में भर्ती कराने की जरूरत है। वाह वाह। समर्थक लड़ भिड़ पड़े। तेरा नेता करप्ट है। दूसरी तरफ से आवाज आई तेरा नेता पागल है। भीषण युद्ध हुआ। अंतत: करप्शन पर पागलपन भारी पड़ गया। सरकार बन गयी, और सरकार बनने के ढाई साल बाद पागल ने करप्ट को पद्मविभूषण दे दिया।समझ नहीं आता क्या इस देश के लोग सचमुच उतने ही बड़े चपंडूक हैं जितना नेता समझते हैं या फिर इन नेताओं को उनकी औकात बताने के लिए उनके भीतर कहीं कुछ बुद्धि बल विवेक अभी भी बचा हुआ है?
२-शरद पवार को पद्मविभूषण देने के बाद अब दाऊद को भारतरत्न देना चाहिए, तभी न्याय होगा।
३-कुछ काम बीजेपी की सरकार में ही हो सकते हैं। जैसे शरद पवार को पद्मविभूषण देने का काम।
प्रो.जगदीश्वर चतुर्वेदी-
जब संविधानभंजक और महाभ्रष्ट लोग पद्म पुरस्कार पाने लगें तो समझो देश में लोकतंत्र की दिशा बदल चुकी है ! लोकतंत्र को इसी तरह माला पहनाकर खोखला किया जा रहा है।
पुष्कर पुष्प-
शरद पवार को पद्मविभूषण मिला, मतलब महाराष्ट्र में सरकार का साथी बदलेगा।
Vijay Yadav – 2014 के विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने का पुराना इनाम अब मिला. धन्यवाद
शाहनवाज़ मल्लिक- शरद पवार को पद्म अवॉर्ड देने के साथ-साथ मंत्रालय ने यह घोषणा भी की है कि इस बार पुरस्कार देने में पारदर्शिता बरती गई है.
अरविंद कुमार- सुना बहुत था, आज एहसास हुआ शरद पवार किस करिश्मे का नाम है. जो बंदा पद्म पुरस्कार को एक झटके में भद्दी और मोटी गाली में बदल दे, उसे तो शब्दों में बाँधा और बुद्धि से समझा ही नहीं जा सकता. सिर्फ़ इतना अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आज से 35 साल बाद इस देश में सबसे अधिक हत्याएँ ‘तेरे पद्म का शरद बनाऊँ’ कहने पर हो रही होंगी.
अजीत अंजुम- १-पवार साहब ने भष्ट्राचार के ख़िलाफ़ पचास साल तक मुहिम चलाई है ..तब जाकर उन्हें पद्म विभूषण मिला है..
अबकी बार
पद्म विभूषण पवार
२-भ्रष्टाचार उन्मूलन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए शरद पवार को पद्म विभूषण से नवाज़ा गया है.
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा