डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
एक दिन सपने में मेरी मुलाकात अब तक के सर्वोपरि मीडिया परसन नारद जी से हो गई। वही नारद जो हिन्दी टी.वी. धारावाहिकों के धार्मिक एपीसोड्स में आकाश-पाताल एवं धरती लोक का विचरण करके संवादों का संकलन करते दिखाए जाते हैं। जी हाँ वही जो टी.वी. चैनलों के ओ.बी. वैन के डिश एण्टिना जैसी चोटी रखे, हाथ में करताल और इकतारा लिए रहते हैं। जहाँ तक मैं जानता हूँ कि नारद जी को हर लोग जानते होंगे। नारद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी मीडिया परसन हैं। वह चिर कुँवारे और सुशिक्षित-प्रशिक्षित पत्रकार हैं। उनके पास आधुनिकतम संसाधन हैं, जिसे हम तपोबल कहते हैं। जब चाहे पलक झपकते किसी भी लोक में पहुँच सकते हैं।
नारद जी के बारे में अधिक जानकारी देने के लिए कई पृष्ठीय ग्रन्थ लिखना पड़ेगा। बस इतना ही कहना है कि ब्रम्हा के मानस पुत्र, विष्णु जी के प्रिय और भगवान शंकर के भक्तों में नारद जी शुमार हैं साथ ही इन पर माता सरस्वती, माता लक्ष्मी और माता पार्वती जी की अपार कृपा है। ये बहुत ही व्यस्त रहते हैं क्योंकि इन्हें मृत्युलोक, पाताल लोक और आकाश लोक समूचे ब्रम्हाण्ड का संवाद संकलन करके उसे प्रचारित/प्रसारित करना रहता है। वही हम पत्रकारों/मीडिया परसन्स के आराध्य मुझे स्वप्न में मिले और पत्रकारिता के टिप्स देने के साथ-साथ बोले कि हे प्रिय अब तुम कोई न्यूज चैनल संचालित करो। मैं सपने में हुई नारद जी से वार्ता का कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ।
देवर्षि नारद जी ने कहा कि वत्स एक ऐसा टी.वी. चैनल शुरू करो जो तुम्हारे आर्यावर्त में अद्वितीय हो मसलन तीनों लोकों की अफवाहों, बेसिर-पैर वाली खबरों से ओत-प्रोत हो। उन्होंने कहा कि यदि तुम्हारा टी.वी. चैनल भूत-प्रेत, अंधविश्वास और प्रेम लीलाओं, बलात्कार आदि घटनाओं को मिर्च मसाला लगाकर प्रसारित करेगा तो रातो-रात तुम और तुम्हारा टी.वी. चैनल स्टार बन जावोगे। मैंने कहा देवर्षि इसके लिए मुझे करना क्या होगा? वह बोले वत्स अब ध्यान मग्न होकर मेरी बातें सुनो। टी.वी. चैनल संचालन के लिए पैसों की आवश्यकता पड़ेगी तब तुम्हें कुछेक पॉलिटिकल पार्टीज, कालाबाजारिए, ढोंगी बाबाओं, दंगाइयों, माफियाओं, तान्त्रिकों, धन्ना सेठों के साथ मित्रता करनी पड़ेगी। ऐसा करके तुम समूचे समाज को मूर्ख, अज्ञानी, विवेकहीन अंधविश्वासी बनाने वाला टी.वी. चैनल संचालित करने के लिए अकूत धन प्राप्त कर सकोगे।
देवर्षि नारद की बात में दम दिखाई पड़ रहा था सो मैं एक अच्छे श्रोता की तरह उनके प्रस्ताव/सुझाव को एकाग्र होकर सुनता रहा। अपने प्रवचन में आगे वह बोले डियर कलमघसीट आजकल दर्शक ऐसा टी.वी. चैनल ही देखते हैं, जिसमें ऐंकरिंग करने वाला पत्रकार घण्टों बेमतलब चीखता, चिल्लाता हो, चैनल की टी.आर.पी. बढ़ाने के लिए नदी, तालाब, अखाड़े और जलती आग में कूद पड़ने की क्षमता रखता हो, साथ ही पति-पत्नियों के बीच 63 के आँकड़े को 36 में तब्दील कराकर उसका लाइव टेलीकास्ट करता हो। स्टिंग अभियान के तहत किसी भी कथित सम्मानित/इज्जतदार की इज्जत आबरू सरेआम उतर सकता हो। मैं खामोश नारद जी की बातें सुन रहा था इसी बीच वह बोले वत्स कलमघसीट सुन रहे हो ना मेरी बात?
मैंने कहा हाँ देवर्षि आप रूकें नहीं, मैं आप की एक-एक बात अक्षरशः अपने मस्तिष्क में फीड कर रहा हूँ। इतना सुनना था वह हंसकर बोले तो सुनो तुम्हें तुम्हारे टी.वी. चैनल को आए दिन धरती के विनाश की बातें प्रमुखता से प्रसारित करनी होगी, इससे लोगों में भय व्याप्त होगा और दर्शकों/उपभोक्ताओं की संख्या अपने आप बढ़ने लगेगी। डियर कलमघसीट टी.वी. चैनल को अद्वितीय बनाने के लिए फर्जी डिग्री धारी नर नारियों को तरजीह देनी होगी जिन्हें पढ़ना लिखना न आता हो लेकिन बोलने में महारत हासिल हो। टी.वी. चैनल के लिए ऐसे स्ट्रिंगर/संवाददाताओं की आवश्यकता होती है जो लतखोर हो, उन्हें अपने मान सम्मान की फिक्र न हो उन्हें लातघूसे खाने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं आनी चाहिए।
तुम्हारे अद्वितीय टी.वी. चैनल के स्टूडियों में ऐसे लोग जब बन्दरों की तरह उछल कूद कर खबरे पढ़ेंगे, तब लोग वाह-वाह कर उठेंगे। वत्स सुन रहे हो ना मेरी बात। मैंने कहा हाँ देवर्षि। उन्होंने बोलना शुरू कर दिया। तुम्हें टी.वी. चैनल के लिए संवाददाताओं/स्ट्रिंगरों हेतु आवश्यकता है का विज्ञापन देना होगा, उसमें विशेष रूप से लिखना कि फर्जी धारक, सामान्य ज्ञान में जीरो, मक्खनबाजी और चापलूसी में दक्ष, स्टूडियों में साक्षात्कार के लिए बुलाए गए मेहमानों को बोलने देने के बजाए खुद ही चीखने चिल्लाने की लियाकत/विशेषता रखने वाले ही आवेदन करें। मानव पूर्वज बन्दर की तरह उछल कूद करने में माहिर, सौ-सौ जूते खाएँ, तमाशा घुसकर देखने वाले, दंगा, हिंसा व अफवाहें फैलाने की कला में माहिर उम्मीदवारों को वरीयता दी जाएगी।
उक्त कार्यों में एक सामान्य मानव से दस गुना अधिक क्षमता वालों को सिर आँखों पर रखा जाएगा। दुर्घटनाओं एवं त्रासदी व दुःखद घटनाओं की खबरों को उछल कूद कर चीख चिल्लाकर टी.वी. चैनल पर सुनाने वालों के शीघ्र पदोन्नति के सुअवसर प्राप्त होंगे। वत्स अपने टी.वी. चैनल में कार्य करने के लिए उन्हीं लोगों की भर्ती करना जिसके दिमाग में भूसा भरा हो और वे लोग पत्थर दिल हों। साथ ही इन लोगों को किसी के मरने-जीने से कोई मतलब न हो, बस चैनल की टी.आर.पी. पर ध्यान केन्द्रित हो। टी.वी. चैनल के संवाददाताओं/स्ट्रिंगरों को इतना कठोर दिल होना चाहिए कि यदि कोई आग लगाकर खुदकुशी कर रहा हो तो उसे बचाने के बजाए ये उस पर पेट्रोल डालकर उसे शीघ्र जलकर मरने में हेल्प करें और छटपटाकर मरने वाले का फोटो शूट करते रहें। ऐसे संवाददाता सर्वश्रेष्ठ गिने जाते हैं।
साथ ही माँ-बहन की गालियाँ बर्दाश्त करने तथा दूसरों को अपशब्दों से अलंकृत करने का दमखम रखने वाले भी टी.वी. चैनल के लिए काफी उपयोगी साबित होते होंगे। फिर कुछ क्षण के लिए देवर्षि नारद ने अपनी वाणी को विराम दिया। तब तक मैं थोड़ा चैतन्य हो चुका था। थोड़े से मध्यान्तर उपरान्त मैंने पत्रकार/मीडिया शिरोमणि देवर्षि नारद से कहा भगवन आप के सुझाव पर अमल करने वाला शीघ्र ही कंगाल से करोड़पति हो जाएगा। मैने निश्चय कर लिया है कि अब शीघ्र ही आप द्वारा सुझाए गए टिप्स को अमली जामा पहनाकर धन और शोहरत की बुलन्दी पर पहुँच जाऊँ। मेरी बात सुनकर वह अपनी चिर प्रतीक्षित फिल्मी/टी.वी. मुद्रा में मुस्कुराने लगे थे।
अब मैंने सोच रखा है कि देवर्षि नारद के बताए अनुसार आग लगाने, दंगा भड़काने, सिर फुटौव्वल कराने, हत्या, आत्म हत्याएँ कराने, लोगों को अज्ञानी, मूर्ख बनाकर अंधविश्वासी बनाने वालों की भर्ती कर एक टी.वी. चैनल जिसका नाम ‘मैचलेस न्यूज चैनल‘ रखूँगा। इससे चैनल की टी.आर.पी. बढ़ेगी साथ ही विज्ञापनों से खूब आमदनी भी होगी। कुल मिलाकर दसो अँगुली घी में और सर कड़ाहे में होगी। मैं यही सब सोच रहा था, तभी देवर्षि नारद जी ने कहा डियर कलमघसीट अब प्रस्थान करूँगा, क्योंकि पाताल लोक की कुछ घटनाओं की कवरेज करनी है उसे कवर करके आकाश लोक में त्रिदेव एवं त्रिदेवियों को बताना भी है।
मैंने नारद जी को प्रणाम किया वह अपने अगले डेस्टीनेशन को प्रस्थान कर गए। मैं नींद में ही था और सोच रहा था कि नारद जी द्वारा बताए गए टिप्स पर गम्भीरता से ध्यान दूँ तो शीघ्र ही सभी कष्ट कट जाएँगे तो क्या आप में वह सभी गुण विद्यमान हैं? यदि हाँ तो कृपा कर मेरे मैचलेस न्यूज चैनल की भावी टीम के सदस्य बनने हेतु अपना आवेदन-पत्र भर कर यथा शीघ्र हमारे पंजीकृत कार्यालय तक भिजवाएँ। इसी बीच बिजली चली गई मेरी नींद उचट गई। उमस भरी गर्मी में मच्छरों ने काटना शुरू किया मैं हैण्डफैन चलाता हुआ बिजली विभाग को कोसने लगा।
(डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी, मो.नं. 9454908400)