रुद्रपुर (उत्तराखंड)। ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त प्रख्यात कथाकार अमरकांत के निधन पर साहित्य, संस्कृति, कला और पत्रकारिता आदि से जुड़े लोगों ने शोक व्यक्त किया और उनके निधन को देश-दुनिया के लिए बड़ी क्षति बताया।
गांधी पार्क में एक बैठक कर अमरकांत के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि अमरकांत की रचनाओं में सम-सामयिक स्थितियों का बेहतर चित्रण है। उन्होंने समाज के हर वर्ग के संघर्ष और जीवन के विविध पहलुओं का विवरण प्रस्तुत किया है। उनके निधन से हिंदी साहित्य का भारी क्षति हुई है। उनके रचनाओं में जन पक्षधरता और प्रगतिशीलता के कारण उन्हें रूसी कथाकार मक्सिम गोर्की और अंतोन चेखोव की तरह माना गया, इस तरह अमरकांत का निधन पूरे भारत और शेष विश्व के लिए भी बड़ा नुक्सान है। बैठक में कस्तूरीलाल तागरा, अयोध्या प्रसाद ‘भारती’, मुकुल, खेमकरण सोमन, रूपेश कुमार सिंह, प्रह्लाद सिंह कार्की, ललित मोहन जोशी, ललित मोहन तिवारी, बिधीचंद सिंघल, देवेंद्र ‘अर्श’, अंजार अहमद, गुरुचरन सिंह आदि थे।
प्रेषक: खेमकरण सोमन