बिना सवाल का साक्षात्कार

n d tiwari rohit shekhar

तमाम कोशिशों और कई दिन के इंतजार के बाद श्रीमती उज्ज्वला शर्मा से इंटरव्यू का दिन, समय और जगह तय हो पाये थे। यह बात रही होगी सन् 2012 के मध्य किसी महीने की। जगह थी दक्षिणी दिल्ली में उज्जवला शर्मा का घर। समय दोपहर बाद यही कोई 3 बजे का रहा होगा। मुझे बात करनी थी डॉ. उज्ज्वला शर्मा से। बातचीत का मुद्दा था उज्ज्वला शर्मा और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी के बीच रहे निजी-संबंधों पर। एनडी तिवारी और उज्ज्वला शर्मा की निजता से जन्म लेने वाले रोहित शेखर से। उस रोहित शेखर के भविष्य को लेकर जो जैविक पिता के नाम को खोजने के लिए वर्षों से कोर्ट-कचहरी के धक्के खा रहा था। बात करनी थी, श्रीमती उज्ज्वला शर्मा से उनके और एनडी तिवारी के उस अतीत की, जो कभी उन दोनो के जीवन का स्वर्णिम काल रहा होगा।


श्रीमती प्रभात शोभा पण्डित खैर छोड़िये मुद्दा और वजह पाठक समझ गये होंगे। ज्यादा भूमिका बनाने की कोई जरुरत महसूस नहीं करता हूं। क्योंकि भूमिका बांधने में वक्त तो जाया होता ही है, साथ ही विषय से भी लेखक भटकने लगता है। उज्ज्वला शर्मा को पहले कभी कहीं नहीं देखा था। चूंकि वो रोहित शेखर की मां और एनडी तिवारी की कभी सबसे विश्वासपात्र थीं। उनका बेटा रोहित पिता का नाम पाने की कानूनी लड़़ाई अदालतों में लड़ रहा था। एक पुरुष और एक महिला के बीच पनपे “अनाम” रिश्ते का बोझ, आखिर वो युवा कैसे अपने कंधों पर ढो रहा है, जिसका इन रिश्तों से दूर-दूर तक कोई ताल्लुक ही नज़र नहीं आता। बस यही जिज्ञासा खींचकर उज्ज्वला शर्मा की देहरी तक ले गयी। उनकी कोख से जन्म लेने वाले रोहित शेखर का पिता कौन है? इस सवाल का जबाब भला उसकी मां (डॉ. उज्ज्वला शर्मा) से सटीक और दे भी कौन सकता था?

पहुंचा तो सही समय। सही जगह। सही इंसान के सामने। कोठी के दरवाजे पर श्रीमती उज्ज्वला शर्मा से भेंट हुई। पहली नज़र में अपना ही मन मानने को तैयार नहीं हुआ, कि सामने मौजूद महिला ही उज्ज्वला शर्मा है, जो कई साल से बेटे (रोहित शेखर) को पिता के नाम का ह़क दिलाने की लड़ाई लड़ रही है। मुझे ड्राइंग रुम में बैठाकर, उज्ज्वला शर्मा घर के अंदर चलीं गयीं। ड्राइंगरुम में वो वापिस लौटीं, तो उनके साथ एक बुजुर्ग महिला भी थीं, जोकि उज्ज्वला शर्मा का सहारा लेकर ही चल पा रही थीं। उज्जवला ने उनका संक्षिप्त परिचय दिया….

‘संजीव जी ये मेरी मां हैं श्रीमती प्रभात शोभा पण्डित। करीब 85 साल की हो चुकी हैं। मेरे और तिवारी जी (एनडी) के बीच क्या रिश्ते थे? और क्या है पूरा किस्सा रोहित के जन्म का…और रोहित द्वारा अपने जैविक पिता के नाम की अदालतों में चल रही लड़ाई का….आपको मुझसे (उज्ज्वला) ज्यादा यह (प्रभात शोभा) ज्यादा खुलकर बतायेंगी…ये जो बतायेंगी वो मैं भी आपको नहीं बता पाऊंगी….मैं हो सकता है कि अपने अतीत के बारे में कुछ भूल जाऊं…मेरी मां को मेरे अतीत के बारे में मुझसे ज्यादा याद है।’ जब तक उज्ज्वला शर्मा ने मां प्रभात शोभा को अपने कंधों का सहारा देकर सोफे पर इत्तमिनान से बैठा नहीं दिया, वे लगातार मां के संबंध में ही मुझे “ब्रीफ” करती रहीं। बिना यह सोचे-देखे, कि मैं उनकी बात सुन भी रहा हूं या नहीं। उज्ज्वला शर्मा मुझसे कुछ और कहें, इससे पहले ही उनकी मां बोल पड़ीं….तो हां आप जानना चाहते हैं उज्ज्वला शर्मा, एनडी तिवारी के करीबी रिश्तों और फिर उस रिश्ते से जन्म लेने वाले रोहित शेखर के अतीत का सच। मैं बताती हूं। अपनी भी कमजोरियां-कमियां और अपनी बेटी की भी कमजोरियां-कमियां। और एनडी की चालाकियों की सच्ची कहानी।

श्रीमती प्रभात शोभा पंण्डित को पहली नज़र में देखा और फिर चंद मिनट उन्हें जब सुना, तो अपने मन ही में उनसे सवाल करने का इरादा छोड़ दिया। सोचा कि जो महिला 85-86 साल की उम्र में इस कदर जिंदादिली से बोलने का दम रखती हैं, तो वो मेरे सवालों में से ही सवालों को जन्म देने का भी दम-खम रखती होंगी। और उनसे सवाल करने का इरादा छोड़ देने में ही भलाई समझी। चुप्पी साधकर उन्हें सुनने लगा। करीब एक घंटे चले “इंटरव्यू” के दौरान कई लम्हे ऐसे भी आये, जब उज्ज्वला शर्मा की मां ने ही मुझे टोंका..”अरे आप तो चुपचाप मुझे ही सुने जा रहे हैं। आप तो कुछ पूछ ही नहीं रहे हैं।”

उनके इस सवाल का मैंने छोटा सा जबाब दिया…”मुझे आपकी मुंह-जुबानी सुनने में ही आनंद आ रहा है। और ऐसा कुछ आप छोड़ ही नहीं रही हैं, अपनी और अपनी बेटी के अतीत के बारे में, जिससे संबंधित मैं कोई सवाल करुं।” इसके पीछे मेरा मकसद सिर्फ इतना था, कि जब सब-कुछ बिना मांगे ही मिल रहा है, बल्कि उ
ससे भी कहीं ज्यादा झोली में आ रहा है, तो फिर बे-वजह बोलकर, आती हुई “खबर” को खुद ही वापिस भेजने की मूर्खता क्यों करुं?

करीब एक घंटे तक उज्ज्वला शर्मा की मां जिस तरह से अपने और अपनी बेटी के अतीत और उज्ज्वला शर्मा के एनडी तिवारी के संबंधों पर खुलकर बोलीं, तो ऐसा लगा कि उस दिन शायद मैं किसी का इंटरव्यू लेने नहीं गया था। या यूं कहूं कि गया तो इंटरव्यू लेने ही था, मगर सामने वाला मुझ पर भारी था…इसलिए चुप रहकर भी वो सब जानकारियां बटोर लाया, जो उज्ज्वला शर्मा-एनडी तिवारी के संबंधों के बाबत अब तक न तो किसी को पता थी, न अब आगे पता चल पायेंगी, श्रीमती प्रभात शोभा पण्डित की मुंह-जुबानी। क्यों अब यह भद्र महिला इस मायावी दुनिया को छोड़कर जा चुकी हैं। मुझ अदना से इंसान को एक ऐसा “इंटरव्यू” देकर, जिस इंटरव्यू में कोई सवाल किया न गया हो, और जबाब मिलते रहे हों।

अपने सबसे लंबे और जहां तक मुझे याद आता है, अपने आखिरी इंटरव्यू में श्रीमती प्रभात शोभा पण्डित ने जो कुछ बताया, अगर वो न बताना चाहतीं, तो शायद मैं उनके “जबाबों” के सवाल कम से कम इस जीवन में तो कभी भी तैयार नहीं कर पाता।

2 अगस्त सन् 1925 को लाहोर (पाकिस्तान) में जन्मीं श्रीमती प्रभात शोभा पण्डित को 31 जनवरी 2013 को गंभीर बीमारी के चलते दिल्ली के एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। 22 फरवरी 2013 को सुबह करीब साढ़े सात बजे उन्होंने अंतिsanjeev-singh-chauhan सांस ली। श्रीमती शोभा पण्डित आर्य समाज के मशहूर नेता पंडित बुद्धदेव विद्यालंकार की बेटी, संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मान्यता प्राप्त वर्ल्ड कान्फ्रेंस फार रिलिजन एण्ड पीस के भारतीय अध्याय की संयोजक और अखिल भारतीय नशाबन्दी परिषद की अध्यक्ष थीं।

(लेखक टेलीविजन पत्रकार हैं और बतौर क्राइम रिपोर्टर उनकी अपनी खास पहचान है)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.