शरद यादव का बयान उन्हीं की तरह बेपेंदी का लोटा है




बेटियों को लेकर शरद यादव के दिए बयान पर पत्रकारों की प्रतिक्रिया :

सुशांत झा- विनय कटियार और शरद यादव दरअसल अपनी-अपनी पार्टियों में पीड़ित आत्मा हैं. उन्होंने उम्मीदों के मुताबिक ही बयान दिया है. दोनो को सठियाना कहना, दरअसल भोलापन है.दोनो अभी चालीसा टाइप ही हैं. दोनों ने अपने पार्टी आलाकमान पर हमला करने के लिए महिलाओं को हथियार बनाया है.

हरेश कुमार- पहली बार नहीं है कि शरद यादव ने महिलाओं के संबंध में ऐसा बयान दिया हो। इनके मानसिक सगे भाई Samajwadi Party के माननीय नेता जी भी कह चुके हैं- लड़के हैं और लड़कों से गलतियों हो जाती हैं। मानसिकता का बदलाव तो होने से रहा। Sharad Yadav के बयान उन्हीं की तरह बेपेंदी का लोटा है, जो मौका देखकर कभी Lalu Prasad Yadav की शरण लेता है तो Nitish Kumar की और इन्हें दल का राष्ट्रीय नेता का दर्जा मिल जाता है। आरक्षण न हुआ, झुनझुना हो गया। पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद, बिहार के मधेपुरा औऱ यूपी के बदायूं से लोकसभा के सदस्य रहे हैं। बीच-बीच में हारने पर पाला बदलकर राज्यसभा की शोभा बढ़ाते रहे हैं, लेकिन हमेशा किसी न किसी की उंगली पकड़कर आगे बढ़े हैं। कभी आरक्षण के नाम पर तो कभी लालू प्रसाद के जंगलराज के नाम पर तो कभी नीतीश के सुशासन के नाम पर तो शुरुआत जेपी के आंदोलन से।




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