दिलीप मंडल,पूर्व संपादक,इंडिया टुडे
इंडिया टुडे में संपादकी के दौरान एक फैसला करते हुए मैंने व्यंग्य यानी सटायर का नियमित कॉलम पहले कम और फिर बंद करा दिया था. जबकि व्यंग्य मेरी प्रिय विधा है.
जानते हैं क्यों?
सोशल मीडिया में अब ऐसा जोरदार और धारदार व्यंग्य हर घंटे क्विंटल के भाव आ रहा है कि साप्ताहिक तौर पर इसकी कोई जरूरत ही नहीं रही. कोई घटना हुई नहीं कि सोशल मीडिया पर चुटकी लेता सटायर हाजिर.
यह देश दरअसल समस्याओं, तकलीफों और विद्रूप को हास्य-व्यंग्य में बदल देने वाला देश है. कोई भी महाबली इससे बच नहीं सकता. जिसे भ्रम है कि वह महान है, उसकी खिल्ली पान दुकानों पर खूब उड़ती है….नए वाले महाबली के बदनाम सूट पर बच्चे चुटकुले बनाते हैं. मिनटों में मूर्तियां खंड-खंड हो जाती है.
व्यंग्य का नया मैदान सोशल मीडिया है. इस विधा को यही शोभा पाना है.
किसी को छोड़ना नहीं दोस्तो! @fb