शालीन
समस्तीपुर जिला के रोसड़ा में दैनिक हिन्दुस्तान भाई-भतीजावाद एवं जातिवाद की भेंट चढ़ रहा है लेकिन प्रबंधन द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिये जाने से स्थानीय स्तर पर अखबार की भद्द पिट रही है। प्रबंधन द्वारा अगर जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आनेवाले दिनों में (भाष्कर शुरू होने पर) उनकी परेशानियों में ईजाफा हो सकता है। अभी मौजूदा स्थिति में रोसड़ा में हिन्दुस्तान के तीन रिर्पोटर हैं लेकिन आम लोगों की जरूरत पर कोई भी नहीं मिलते हंै। इसका कारण यह है एचएमवीएल के एक बड़े ओहदा वाले अधिकारी की सिफारिश पर सीमावर्ती बेगूसराय जिले के पत्रकार को जो पूर्व में बेगूसराय जिला के एक प्रखंड की रिर्पोटिंग से जुड़े थे को रखा गया है लेकिन स्थानीय नहीं होने के कारण वे हिन्दुस्तान की उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतर रहे हैं लेकिन वे एक बड़े अधिकारी की पसंद हैं इसलिये कमजोर साबित होने पर भी कोई कुछ करने की स्थिति में नहीं है।
मोबाईल आधारित रिर्पोटिंग (स्थानीय नहीं होने के कारण) के कारण हिन्दुस्तान पाठकों को बचकानी, गलत और तथ्यहीन टाईप समाचारों को परोस रहा है जिससे हिन्दुस्तान के परम्परागत पाठकों में निराशा व्याप्त है। हिन्दुस्तान प्रबंधन को अगर हमारे आरापों की परख करनी हो तो दिनांक 12 दिसम्बर 2013 के सभी प्रमुख अखबार के समस्तीपुर संस्करण के साथ हिन्दुस्तान का तुलनात्मक अध्ययन करना होगा। ऐसा करने से उन्हें वास्तविकता का अंदाजा सहजता से लग जायेगा।
स्थानीय पाठकों द्वारा ‘रोसड़ा बस पड़ाव में हुई हत्या की घटना को अपराधियों द्वारा आगजनी का रूप दिये जाने’ से संबंधित समाचार की प्रतीक्षा बेसब्री से प्रतीक्षा थी लेकिन जब 12 दिसम्बर का हिन्दुस्तान जब लोगों के हाथ में आया तो लोग हैरान रह गये। इस घटना से संबंधित सटीक और निष्पक्ष समाचार प्रकाशित करने में हिन्दुस्तान सबों से फिसड्डी साबित हुआ। यहां ज्यादा लिखना ठीक नहीं, हिन्दुस्तान को स्वंय अपने गिरेबां में झांकना चाहिये कि जातिवाद का घुन उसे किस प्रकार खा रहा है!!
भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध निजी परिवहन कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रभारी रामबाबू सिंह ने रोसड़ा शहर में हिन्दुस्तान की लचर व्यवस्था पर चिंता जताते हुए स्थानीय सिस्टम पर आरोप लगाया है कि रोसड़ा बस पड़ाव में हुई हत्या के बाद संघ की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी जिसे सभी प्रमुख अखबार को प्रेषित किया गया लेकिन हिन्दुस्तान द्वारा मजदूर संघ के प्रेस विज्ञप्ति को नजरअंदाज कर दिया जाना ओछी मानसिकता का परिचायक है। कम से कम हिन्दुस्तान जैसे बड़े और जिम्मेवार बैनर से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती है। इसके पीछे चाहे जिस किसी भी साजिश या नासमझी रही हो वह ‘हिन्दुस्तान’ की सेहत के लिये कहीं से भी ठीक नहीं है। यहां बता दें कि हिन्दुस्तान को छोड़कर प्रायः सभी समाचार-पत्रों ने मोटरवाहन कर्मचारी संघ एवं निजी परिवहन कर्मचारी संघ के प्रेस विज्ञप्ति को ससम्मान प्रकाशित किया है जिसमें मृत चालक के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते हुए प्रशासन से सरकारी सहायता की गुहार लगाई गई थी।
(समस्तीपुर से शालीन की रिपोर्ट)