-हरेश कुमार,वरिष्ठ पत्रकार-
आखिर क्या कारण है कि राजीव गांधी और इंदिरा गांधी की वर्षगांठ पर समाचारपत्रों को 8-8 करोड़ के विज्ञापन देने वाली सरकार फिरोज गांधी को बिल्कुल नजरअंदाज क्यों करती रही। हालांकि, उस समय सत्ता की बागडोर फिरोज गांधी की पुत्रवधु सोनिया के हाथों में थीं।
लेखक ने इस बात पर हैरानी व्यक्त की है कि फिरोज गांधी को शुरू से ही उसका परिवार नजरअंदाज करता रहा है। उनके नाम पर न तो किसी मार्ग का नाम रखा गया है और न ही कोई योजना बनाई गई है। जबकि सैकड़ों जगहें राजीव और इंदिरा गांधी व जवाहरलाल नेहरू के नाम से जुड़ी हुई है। मगर फिरोज गांधी का कोई नाम लेने वाला नहीं है।