अच्छा लगा कि डॉ हर्षवर्धन ने पटाखे और स्वास्थ्य को लेकर जो बात कही वो उनकी ही पार्टी बीजेपी के रवैये और सोच से अलग है..हर्षवर्धन ने जिस शांत अंदाज़ में किन्तु मजबूती से पटाखे का विरोध किया..साबित करता है कि किसी का किसी पार्टी से जुड़ने क मतलब ऊपर से नीचे उसके रंग में अपने को पोत लेना नहीं होता है..अपनी समझ, आवाज़ और असहमति को बचाए रखना भी होता है..हम डॉ हर्षवर्धन की राजनितिक समझ से असहमत होते हुये भी इस सन्देश का सम्मान करते हैं..नहीं तो इसी पार्टी के सुप्रीमो खुलेआम पटाखे जलाने की बात करते देखे गये.
(स्रोत-एफबी)