कुमुद सिंह
शरद यादव से बडा थेथर नेता नहीं देखा। इतनी बेइज्जति के बाद भी यह आदमी मुंह उठाये बिहार आ जाता है। बिहारियत जैसे ही पैदा करने की कोशिश होती है इसकी सांसे फुलने लगती है। विशेष राज्य को लेकर धरना था तो इ नेता दिल्ली में दुबका था और अब नीतीश को समझाने आ गया है कि माझी को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने दो। दरअसल इस नेता को बिहार से ज्यादा अपनी राजनीति की चिंता सताती रहती है। मुलायम का पांव छुने गया था, लेकिन दाल नहीं गली। अब नीतीश को खत्म करने में एक बार फिर जुट गया है। पहले लालू से हाथ मिलवा दिया अब माझी को सीएम मान लेने का दबाव डाल रहा है। कहा जा रहा है कि माझी की महत्वाकांक्षा बढाने में शरद यादव का भी हाथ है, आखिर अगला मुख्यमंत्री गया से हो यह बात मांझी किसी जगन्नाथ जैसे नेता के इशारे पर तो कह नहीं सकते। तो क्या शरद निपटा ही देंगे नीतीश को या इसबार नीतीश पडेंगे शरद पर भारी….। क्योंकि भाजपा बिना कारण तो शरद को राज्यसभा में समर्थन नहीं दिया था।
राज शेखर
मुझे समझ नहीं आता की मांझी जी में दिक्कत क्या है ? वो दलित समाज के उभरते हुए चेहरे है । खुद अपने मुहं से चूहा मार के खाने की बात क़ुबूल कर चुके हैं । ये उनके भूमिपुत्र होने का संकेत है । रही बात राज करने की तो वो भी विद्यमान है । डॉक्टरों के हाथ काटने वाले बयान देकर ठाकुर और गब्बर को भी समाहित कर लिया । अब और क्या चाहिए ? नितीश तो अब बीच के घून हैं बस । चक्की और गेहूं के बीच ऐसे पिसेंगे की पता भी नही.