तहलका के प्रमुख संपादक का प्रायश्चित काफी नहीं है – मुकेश कुमार

मुकेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

तहलका के प्रमुख संपादक ने जो कुछ किया है उसके लिए उतना काफी नहीं है जिसे वे प्रायश्चित मानकर कर रहे हैं। माफी माँग लेना या छह महीने के लिए संपादकी छोड़ देना कतई पर्याप्त नहीं है और न ही इस तरह की दुर्घटनाओं का कोई समाधान ही। ऐसे तो हर कोई बच निकलेगा।

सवाल एक अपराध का है और ऐसे अपराध का है जिसे कानूनी प्रक्रिया को पूरे किए बिना भुला देना ख़तरनाक़ होगा। कानूनी कार्रवाई इसलिए भी ज़रूरी है कि पत्र-पत्रिकाओं और टीवी चैनलों में ऐसे पत्रकारों और संपादकों की लंबी कतार मौजूद है। कुछ संस्थान तो इसके लिए कुख्यात हैं और वहाँ खुद मालिक महिलाकर्मियों के शोषण में मुब्तिला रहे हैं। ये लोग इस तरह की हरकतें करते रहते हैं और कभी पीड़ितों में हिम्मत की कमी की वजह से तो कभी प्रबंधन के रवैये की वजह से बच जाते हैं।

एक मिसाल कायम होनी ज़रूरी है ताकि इस तरह के अपराध करने की मानसिकता रखने वालों में ख़ौफ़ पैदा हो और वे ऐसा कुछ करने से बाज़ आएँ। महिला कर्मियों का हौसला बढ़ाने के लिए तो ये और भी ज़रूरी है।

(स्रोत-एफबी)

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