उर्वशी बुटालिया ने तहलका द्वारा नियुक्त कमेटी में शामिल होने से इन्कार कर दिया है. यानि तरुण तेजपाल अब एक ऐसी शर्म हो गए हैं कि उनके दोस्त भी उन्हें अपना रूमाल देने को तैयार नहीं हैं.
अरुंधति राय ने तो कह ही दिया कि इस घटना ने उनका दिल और भरोसा तोड़ दिया है .वैसे ‘वीर बालकों’ से विहीन यह दुनिया अभी नहीं हुयी है .कल अलेक पद्मसी ने तरुण तेजपाल की तुलना जान ऍफ़ केनेडी और क्लिंटन से करते हुए पीड़िता युवा पत्रकार को मर्लिन मुनरो और मोनिका लेविंस्की के समकक्ष खड़ा कर दिया .
‘टाईम्स नाव ‘ पर हो रही इस बहस में जब अर्नब गोस्वामी ने अलेक को अपनी टिप्पणी वापस लेने का मौका दिया तो इसे वापस लेने के बजाय अलेक पद्मसी ने भविष्य में उनके चैनल के बहिष्कार का निर्णय सुना दिया .
गनीमत है कि जावेद अख्तर और सुहेल सेठ ने पैतरा बदलते हुए अगर मगर के बावजूद तरुण तेजपाल की अंततः निंदा की है …सच है कि अब तरुण तेजपाल वह लिटमस टेस्ट हो गए हैं जिस पर खुद को खरा साबित करना है …भाजपा की साजिश की गढ़ंत अब उनकी अंतिम शरणस्थली है ..सचमुच दयनीयता ,हताशा और निर्लज्जता का निकृष्ट उदाहरण .