हिंदी सिनेमा की सबसे कामयाब सीरीज़ बनाने के बाद भी राकेश रोशन उतने ही मिलनसार, उतने ही मृदुभाषी और उतने ही सहज-सरल हैं, जितने वे शुरुआती दिनों में हुआ करते थे।
फिल्म के प्रिव्यू शो में पत्रकारों से मिलने शाहरुख, अभिषेक सरीखे लोग भी आते हैं, पर राकेश रोशन को ऐसे मौकों पर देखना सिखाता है कि कामयाबी के बाद भी कैसे सिर कंधे पर बनाए रखा जाता है। उनकी सहजता का आभा मंडल ही अलग ही रहता है।
हिंदी सिनेमा को ऐसे ही दो चार रीयल लाइफ कृष भी चाहिए। कहीं कोई ऐंठन नहीं, विश्व सिनेमा के नामी निर्देशकों के बराबर खुद को साबित करने की कहीं कोई जल्दबाजी भी नहीं। कृष 3 हॉलीवुड को हिंदी सिनेमा का जवाब है। जाइए, देखिए।
(फिल्म समीक्षक पंकज शुक्ला के एफबी वॉल से)