कल प्रधानमंत्री मोदी ने पत्रकारों और संपादकों के लिए चाय पार्टी दी थी. उस पार्टी में देश के तमाम बड़े पत्रकार और संपादकों ने भाग लिया. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेल्फी लेने की होड़ मच गयी. ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी ने भी सेल्फी ली. लेकिन सोशल मीडिया पर उनके सेल्फी के आते ही तीखी प्रतिक्रिया आने लगी. पढ़ें मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार की कुछ टिप्पणियाँ :
मुझे समझ नहीं आ रहा कि आपलोग सुधीर चौधरी जैसे दागदार संपादक के देश के प्रधान सेवक के साथ दांत चियारकर सेल्फी लेने और थै-थै करके ट्वीट किये जाने पर इतने हलकान हो रहे हैं ? मेरे ख्याल से मीडिया लोकतंत्र का चौथा खम्भा है, जैसी मान्यताओं से मोह छूटा नहीं है. ऐसे में तो वो कल को भारतेंदु की प्रतिमा के आगे शेल्फी लेकर ट्वीट कर देंगे तो आप उन्हें गरीबों-वंचितों और हाशिये के समाज का पत्रकार मान लेंगें..हद है.
ये बात समझने में भी दिक्कत है कि जिसका मालिक खुलेआम चुनाव में उस पार्टी की रैली में जाकर वोट देने की बात कर रहा हो, जिससे अच्छे दिन आने हैं, हरियाणा चुनाव के कितने दिन हुये…अब उस पार्टी के अवतारी पुरुष खुद मालिक के कर्मचारी के आगे अवतरित हो तो वो क्या उनसे ये सवाल करेगा कि आपने देश में अघोषित आपातकाल कैसे विकसित किया या फिर लहालोट होकर, मुंह बिदोरकर सेल्फी लेगा..टीवी लागत का माध्यम है, वो मैनेज नहीं होगा, प्रधान सेवक के सहोदर अर्थात मैनेजमेंट और बिज़नस की भाषा नहीं समझेगा तो क्या आपकी भाषा समझकर सड़क पर उतर आयेगा..
मीडिया में आप अगर नौकरी मांगने जायेंगे तो अमूमन आपसे ये नहीं पूछा जायेगा कि आपने क्या-क्या पढ़ा है,किसके बारे में क्या जानते हो? आपसे पूछा जायेगा- आपको कौन-कौन जानते हैं पर्सनली ? कई बार यहाँ तक पूछ लेंगे- आप अमर सिंह को फ़ोन लगाकर बात कर सकते हो ? मतलब आपकी नेटवर्किंग कितनी है ?
दूसरा सवाल थोडा दायें-बांये करके कि आप और क्या कर सकते हो ? आप बच्चा टाइप से बताने लगोगे- पैकेज बना लेता हूँ, इनपुट,आउटपुट का काम..ब्ला-ब्ला..जबकि वो जानना चाहते हैं इस मीडिया संस्थान के लिये बाहर से कितना माल ला सकते हो?
ऐसे में सुधीर चौधरी से लेकर दीपक चौरसिया जैसे इस धंधे के बुढाठ लोग दांत चियारकर देश के प्रधान पीआर प्रक्टिसनर के साथ सेल्फी ले रहे हैं,उनके हाल पूछे जाने पर दुनिया के आगे नगाड़े पीट रहे हैं तो इसमें गलत क्या है ? वो दरअसल उन हजारों मीडिया छात्रों के आगे बेंचमार्क बना रहे हैं कि तुम्हें मेरी तरह देश का प्रधान पी आर ओ जानता है या नहीं ? अगर नहीं तो पत्रकारिता की डिग्री की बत्ती बनाकर संध्यावंदन करो