(ओम प्रकाश द्वारा संपादित)-
मोदी सरकार के खिलाफ सैन्य अधिकारियों की रैंकिंग को लेकर मीडिया के एक और बड़े झूठ का पर्दाफाश हुआ है। कुछ अखबार और चैनल ये खबर चला रहे थे कि मोदी सरकार ने एक सर्कुलर के तहत सैन्य अधिकारियों की रैंकिंग को असैन्य अधिकारियों के मुकाबले नीचे कर दी है। लेकिन रक्षा मंत्रालय ने मीडिया में प्रकाशित सैन्य अधिकारियों की रैंकिंग को कम किए जाने की खबरों का खंडन किया है।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक मीडिया में जिस रिपोर्ट के हवाले से ये खबर चलाई जा रही है, वो न सिर्फ झूठी है बल्कि मनगढ़ंत है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि सशस्त्र बलों के मुख्यालय में तैनात किसी भी सैन्य अधिकारियों की रैंकिंग और उनकी स्थितियों में कोई बदलाव नहीं किया है।
गौरतलब है कि जिस तरीके से मोदी सरकार के विरोध में मीडिया गलत तरीके से समाचार प्रकाशित और प्रसारित कर रहा है, उससे दरअसल सैन्य बलों का मनोबल तोड़ने का कुचक्र चलाने का प्रयास हो रहा है। मीडिया ने अपनी खबर के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंतरिक सर्कुलर को आधार बनाया, जो कि 18 अक्टूबर, 2016 को जारी हुआ था।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रकाशित खबरों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया है कि सशस्त्र बलों के मुख्यालय में तैनात किसी भी सैन्य अधिकारियों की जो रैंकिंग है, उसे नीचे नहीं किया गया है और न ही स्थितिओं में किसी तरह का बदलाव किया है। सशस्त्र सेना बलों, जल और वायु सेना के मुख्यालयों में तैनात संबंधित सैन्य अधिकारियों और असैन्य अधिकारियों की रैंकिंग केवल उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के आधार तय किया गया है। यह व्यवस्था पहले से चली आ रही है। प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि वर्ष 1991 से चल रही व्यवस्था को ही मुख्यालय ने 1992, 2000 और 2005 में दोहराया है। उसी व्यवस्था को बनाए रखा गया है और सर्कुलर के माध्यम से सिर्फ इसे ही दोहराया है।