अखिलेश यादव की पांच वर्ष की सरकार पूर्णतया भ्रष्ट थी, गुंडा राज की प्रतीक थी, अपराधी और असामाजिक तत्व कानून का ठेंगा दिखाते रहे, कोई एक नहीं बल्कि अनेक गायत्री प्रसाद प्रजापति, अनिल यादव, यादव सिंह जैसे लोग अपनी करतूत से उत्तरप्रदेश की जनता की छवि खराब करते रहे, सरकारी धन का लूट करते रहे, भ्रष्टाचार का मीनार खडा करते रहे पर अखिलेश सरकार की नींद नहीं खुली, वंशवाद का नंगा नाच हुआ, फैमली नौटंकी हुई। ये सभी बातें और आवाजें वरिष्ठ पत्रकार और जन राष्ट्रवादी चिंतक विष्णुगुप्त द्वारा लिखित पुस्तक ‘ अखिलेश की गुंडा समाजवादी सरकार ‘ पर आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में उठी। यह कार्यक्रम लखनउ के इंडियन कॉफी हाउस में लोकशक्ति अभियान द्वारा आयोजित था।
विष्णुगुप्त ने परिचर्चा में बेहद मुखर स्वर में कहा कि कि यह पुस्तक अखिलेश को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगी। अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव से भी बडा भ्रष्टाचारी, वंशवादी और गुंडावादी है, मुलायम सिंह यादव ने अपनी वैध और अवैध दोनों पत्नियों को संसद में नहीं भेजा पर अखिलेश ने अपनी पत्नी डिम्पल यादव को लोकसभा में भेजा दिया। उन्होंने अखिलेश की ईमानदारी की पोल खोलते हुए कहा कि यादव सिंह जैसे भ्रष्ट इंजीनियर को और किसी ने नहीं बल्कि अखिलेश यादव ने ही संरक्षण दिया था, अखिलेश और रामगोपाल यादव साजिषपूर्ण ढंग से यादव सिंह को बचाने में लगे हुए थे, सीबीआई की जांच में अवरोधक खडा किया गया, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि अखिलेश सरकार अपनी जांच रिपोर्ट में यादव सिंह को ईमानदार बताते हुए क्लीन चिंट तक दे दिया था अगर सीबीआई सपूंर्णता में जांच कर पायी तो फिर अखिलेश यादव तक जेल जा सकते हैं।
विष्णुगुप्त ने बहस को आगे बढाते हुए कहा कि जिस लखनउ आगरा एक्सप्रेस वे को अखिलेश अपनी उपलब्धि कहते हैं विकास का प्रतीक कहते हैं वह लखनउ आगरा एक्सप्रेस वे लूट और भ्रष्टाचार का प्रतीक है, किसानों की आजीविका मारी गयी है, राइफल की नोंक पर किसानों से जमीन छिनी गयी, अभी तक किसानों को पूरा मुआवजा तक नहीं मिला है, सबसे बडी बात यह है कि इस एक्सप्रेसवे के निर्माण पर कितना खर्च आ रहा है, यह बताया नहीं जा रहा है, एक्सप्रेस वे अभी तक अधूरा है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में उत्तर प्रदेष के अंदर जितने भी दंगे हुए थे उन सभी में अखिलेश, मुलायम और आजम खान की मिलीभगत थी और वोट की राजनीति के तहत दंगे कराये गये थे। सैफई महोत्सव में भ्रष्टाचार, अपसंस्कृति और ईमानदार अधिकारियों के उत्पीडन पर भी इन्होने अखिलेश यादव को कोसा। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तरप्रदेश की जनता के हित में अखिलेश सरकार की विदाई होनी चाहिए और अखिलेश सरकार की बेदखली निष्चित है।
परिचर्चा के आयोजक और लोकशक्ति अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष नैमिष प्रताप सिंह ने कहा कि लोहिया राजनीति में वंशवाद के विरोध के राष्ट्रीय प्रतीक थे लेकिन अखिलेश वंशवाद , परिवारवाद के सबसे बडे प्रतीक बन गये। उन्होंने अनिल यादव जैसे भ्रष्ट और अपराधिक प्रवृति के व्यक्ति को यूपी लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष बनाकर इस संस्था को अपने परिवार, अपने रिश्तेदारों और पालतू लोगों के उत्थान का माध्यम बना दिया। विधान सभा चुनाव के ठीक पहले राहुल और अखिलेश के बीच जो गठबधन हुआ है वह सिर्फ और सिर्फ स्वार्थपूर्ण है और एक-दूसरे के भ्रष्टाचार को ढकने-पोतने के लिए है। यह गठबंधन नीतियों और कार्यक्रमों पर आधारित नहीं है। प्रियंका और डिम्पल समाज के बडे हिस्से, पिछडते-तडपते समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं,ये सिर्फ अपने भाई और पति को बचाने के लिए आयी है। श्रमजीवी समाज की महिलाओ को प्रियंका-डिम्पल का खुलकर विरोध करना चाहिए, क्योंकि ये दोनों महिलाएं उन लोगो का बचाव कर रही है जिन पर भ्रष्टाचार और जनता हित के खिलाफ काम करने के आरोप है।
इस परिचर्चा को संबोधित करते हुए दृष्टांत के संपादक अनुप गुप्ता ने कहा कि अखिलेश सरकार को आईना दिखाने में यह पुस्तक प्रासांगिक और गंभीर है। हम सबकों एक समूह बना कर इस पुस्तक को अखिलेश को सौंप देना चाहिए। एक ऐसे समय में जब पत्रकारिता उगाही और दलाली का कार्य है तब सत्ता के खिलाफ जाकर इस तरह की पुस्तक लिखना एक तरह से बगावत है। जनजागृति फाउडेशन के अध्यक्ष या श्रीकांत यादव ने कहा कि राजनीति मे परिवारवाद से गरीब, दबले-कुचलों का अधिकार मारा जा रहा है, इस पर विष्णुगुप्त ने कडा प्रहार किया है, इसलिए ये बधाई के पात्र हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नवभारत पत्रकार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा एन के सिंह ने कहा कि विष्णुगुप्त की पुस्तक अग्नि मिसाइल है जिसकी रेंज पांच हजार किलोमीटर है। डा एन के सिंह ने कहा कि विष्णुगुप्त की पुस्तक चुनावी अभियान में पूरे उत्तरप्रदेश में अखिलेश की गुंडा, भ्रष्ट, परिवारवादी सरकार की पोल खोल रही है। उन्होने कहा कि पत्रकारिता की दुनिया में विष्णुगुप्त की गंभीर व सशक्त मौजूदगी है जो जनवाद के पोषक हैं। पत्रकारिता ही नही बल्कि राजनीति और समाजसेवा के क्षेत्र मे भी जब तक लक्ष्य की पवित्रता नहीं होगी तब तक भटकाव तय है। जनसरोकार लक्ष्य होगा तभी सफलता मिलती है और पहचान मिलती है। विष्णुगुप्त ने अपने जीवन में एक लक्ष्य बनाया है भ्रष्ट लोगो को सबक सिखाने के लिए, इसीलिए ये ऐसी पुस्तक लिखने मे सफलता पायी है। डा सिंह ने कहा कि आज पत्रकार परिवार को बचाना जरूरी है, इसके लिए शुद्धिकरण अभियान चलाना होगा, संविधान मे चौथा स्तंभ की मौजूदगी सुनिश्चित करनी होगी।
परिचर्चा मे, खबरों के आकलन के संपादक अजीत सिंह, विवेक राय, शिवकृपाल मिश्रा, जितेन्द्र झा, अमर कृष्ण, धननजय सिंह, एसएस वाजपेयी, नितिन गुप्ता, विजय कुमार षुक्ला, गरिमा, अस्थाना जी सहित अन्य लोगों ने भी भाग लिया और अपना संबोधन दिया।
(नैमिष प्रताप सिंह)