नदीम एस.अख्तर
वरिष्ठ पत्रकार Vinod Kapri India ने एक हैरान कर देने वाली (हालांकि अब किसी बात से हैरानी नहीं होती) पोस्ट लिखी है. उन्होंने अपनी वॉल पर लिखा है कि….
“: #PK के नाम पर @yadavakhilesh और जीतन राम माँझी राजनीति क्यों कर रहे हैं ?हिंदू देवी देवताओं के उपहास के बहाने जिस ढोंग पर चोट की गई है उससे किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए पर ऐसा ही उपहास अन्य धर्म के प्रतीकों का भी होता तो क्या तब भी यही प्रतिक्रिया होती ? एक दिन भी शायद फ़िल्म नहीं चल पाती !! तब ये जो लोग उसे टैक्स फ़्री कर रहे हैं और इसकी वकालत कर रहे हैं,वही इसे सबसे पहले बैन करते।
ये राजनीति और ढोंग भी बंद होना चाहिए।”
विनोदी जी की बात का जो मैंने जवाब लिखा है, वो ये है…
मतलब घुमाफिराकर आप भी वही बात कर रहे हैं कि “हिंदू धर्म बहुत उदार है और इसीलिए उसके -ढोंग- पर तथाकथित प्रहार किया गया है”. हम्मम….यही तो बात तो सारे दक्षिणपंथी प्रबुद्ध विद्वान और तोड़फोड़ करने वाले बजरंगी भी बोल रहे हैं. रही टैक्स फ्री वाली बात, तो पता नहीं ये क्यों प्रचारित किया जा रहा है कि अमुक सरकारें पीके को टैक्स फ्री करके किसी धर्म समुदाय को आकर्षित करना चाह रही हैं. ये गुमान पत्रकारों-सरकारों-फिल्मकारों को अपने मन से निकाल देना चाहिए कि पीके को देखने के बाद किसी धर्मविशेष के लोग खुश होते हैं. इस फिल्म में सब धर्मों के प्रतीकों को दिखाकर पूछा गया है कि हे भगवान, हे अल्लाह, कहां है तू…अगर आपके जैसे वरिष्ठ पत्रकार ने भी यह फिल्म देखे बिना अपनी राय बना ली है, तो आपकी मर्जी. वैसे ये अफसोसनाक है. फिल्म के एक गाने का लिंक दे रहा हूं. देख कर सोचिएगा और बताइएगा कि इसमें सिर्फ हिंदू धर्म के बारे में कहा गया है या सब धर्मों के बारे में.
भाई साहब, फैसला पब्लिक को करने दीजिए. जनता फिल्म को पलकों पे बिठा रही है. फिल्म कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. अब राजनेता भी बहती गंगा में हाथ धोना चाह रहे हैं (अपनी समझ के अनुसार ये अंदाजा लगा लीजिए कि या तो वे समाज के सभी धर्मों में फैली बुराइयों की ओर इंगित करने वाली इस फिल्म को टैक्स फ्री करके एक संदेश देना चाहती है या फिर ये कि वे पीके को टैक्स फ्री करके एक समुदाय विशेष को आकर्षित करने की राजनीति कर रहे हैं) तो धोने दीजिए. कृपया चीजों को गलत संदर्भ में पेश ना करें.
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