वेद प्रताप वैदिक बतौर पत्रकार हाफिज सईद से मिलें, इसमें कोई बुराई नहीं. पत्रकार की हैसियत से वो ओसामा बिन लादेन से मिलकर भी उनका exclusive interview ले सकते थे.
ये अलग बात है कि हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है और ओसामा पहाड़ों-कंदराओं में छुपकर रहता था. लेकिन जहां ना पहुंचे कवि, वहां पहुंचे कवि की तर्ज पर -वहां पहुंचे पत्रकार- भी कह सकते हैं.
पर एक पेंच है. पत्रकार किसी शख्सियत से मिलकर उससे होने वाली बातचीत को जस का तस रख देता है. उसे preach करने या उपदेश देने या उसका हृदय परिवर्तन करने की कोशिश नहीं करता है.
यही कुछ सवाल पत्रकार वेद प्रताप वैदिक की नीयत को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं. बाबा रामदेव जब कहते हैं कि वैदिक, हाफिज का हृदय परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे थे, तो वैदिक-हाफिज की मुलाकात से पत्रकारिता का मुलम्मा हट जाता है. फिर वे पत्रकार नहीं रहते. आतंकवादी हाफिज सईद का हृदय परिवर्तन करने की कोशिश में वे कोई मनोचिकित्सक या स्पीरिचुअल गुरु टाइप की चीज हो जाते हैं. और यहीं वैदिक की मुश्किलें शुरू हो जाती हैं.
नरेंद्र मोदी ने जब चुनाव में प्रचंड बहुमत पाया था तो वैदिक हर टीवी चैनल पर फोनो दे रहे थे और कह रहे थे कि मोदी देश के पहले ऐसे पीएम होंगे, जिनका शपथ ग्रहण देखने के लिए उनकी मां जिंदा हैं. और फिर वे मोदी की तारीफों के पुल बांधते चले गए थे. इससे एक आम दर्शक को ये तो समझ आ ही गया था कि वैदिक बीजेपी के बहुत करीबी -पत्रकार- हैं. इसलिए जब राज्यसभा में वित्त एवं रक्षा मंत्री अरुण जेटली वैदिक को क्लीन चिट देते हुए सिर्फ इतना भर कहते हैं कि एक पत्रकार की हाफिज से मुलाकात का सरकार से कोई लेनादेना नहीं है, तो मुझे आश्चर्य नहीं हुआ.
अभी दो-तीन दिन पहले जब ये मामला इतना ज्यादा तूल नहीं पकड़ा था, तो वैदिक इंडिया टीवी पर रजत शर्मा के शो में उनसे मुखातिब थे. मुझे आश्चर्य हुआ कि बातचीत के क्रम में ही वैदिक एक तरह से हाफिज सईद की तारीफ करने लगे थे. उन्होंने तो इंडिया टीवी पर यहां तक कह दिया कि हाफिज सईद इंटरव्यू के दौरान उन्हें -भाई साब, भाई साब- कहने लगा था. और भी कई बातें उन्होंने बोलीं. वैदिक ने बताया कि हाफिज सईद ने मुझसे कहा है कि वह भारत आकर एक बड़े जलसे को संबोधित करना चाहता है और बताना चाहता है कि वह ऐसा है नहीं, जैसी उसकी छवि भारत में बनाई गई है. इस पर एंकर रंजत शर्मा ने तंज किया कि हां, अब यही बाकी रह गया था…
वैदिक पूरे भावावेश में बोले जा रहे थे लेकिन वह रजत शर्मा जैसे अनुभवी एंकर थे, जिन्होने बात संभाल ली और वैदिक के -हाफिज सईद प्रेम- से किनारा करते हुए कहा कि हाफिज सईद मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड और आतंकी है, आदि-आदि.
कल जब वैदिक को अर्नव गोस्वामी के शो में देखा तो वे अपनी चौतरफा हो रही आलोचना से काफी क्षुब्ध नजर आए. शुरुआत से ही उन्होंने अर्नव पर हमला जारी रखा. अर्नव को ‘”शट अप, तुम पर लानत है, तुम रिपोर्टर की तरह बात कर रहे हो”” और ना जाने क्या-क्या कहा. अपनी प्रशंसा भी की कि मैं एडिटर रह चुका हूं और मैंने अब तक क्या-क्या किया है वगैरह-वगैरह…
लेकिन बात इतनी सिम्पल भी नहीं है, जितनी आप समझ रहे हैं. फर्ज कीजिए कि यदि इस्लाम धर्म को मानने वाला कोई पत्रकार हाफिज सईद से मुलाकात करके हिन्दुस्तान लौटता, तो उसकी क्या गत होती. बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार उस पर क्या रवैया अपनाती और संघ के अनुषांगिक संगठन अब तक क्या-क्या कर-कह चुके होते. अब तक तो उसे देशद्रोही-राष्ट्रदोही-पाकिस्तान समर्थक-आतंकवादी और ना जाने कौन-कौन से तमगों से नवाजा जा चुका होता. और ये हकीकत है. कयास नहीं हैं. जब मनोरंजन करके पैसा कमाने वाले और एक अच्छे नागरिक की तरह जीवन गुजारने वाले शाहरुख खान को एक साधारण विवाद में देश छोड़कर पाकिस्तान जाने को कह दिया जाता है, तो फिर कोई मुसलमान पत्रकार अगर हाफिज सईद का इंटरव्यू करके लौटता, तो उसका और उसके परिवार का क्या हाल किया जाता, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते.!!!
लेकिन वैदिक के मामले में संघ-बीजेपी और सारे खामोश हैं. बाबा रामदेव तो यहां तक कहते हैं कि वैदिक, हाफिज सईद का हृदय परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे थे. फिर तो बीजेपी वालों को और मोदी सरकार को सारे आतंकियों के पास ऑफिशियली अपने दूत भेजने चाहिए और उनका हृदय परिवर्तन करने की कोशिश करनी चाहिए. जरूरत पड़े तो आतंकियों के हाथ-पांव भी पकड़ने चाहिए कि हुजूर, अब हमारे देश पर दया करो, हमें बख्श दो. आप अच्छे इंसान हो. आतंकवाद में क्या रखा है, मुख्यधारा में आओ….
मतलब कि बीजेपी-बाबा रामदेव-वैदिक जैसे लोगों को भगवान बुद्ध के अवतार में आकर सारे आतंकियों का उसी तरह हृदय परिवर्तन करवाना चाहिए, जैसे बुद्ध ने डाकू अंगुलिमाल का किया था. यही धर्म है. यही शास्त्रसम्मत है. यही परंपरा है. यही भारतीय संस्कृति है. इसी के लिए तो भारत की सवा अरब आबादी ने नरेंद्र मोदी को वोट दिया था.
दुख की बात ये है कि जब देश के रक्षा मंत्री अरुण जेटली, वेद प्रताप वैदिक की हाफिज सईद से मुलाकात की संसद में निंदा भी नहीं कर पाते तो आगे ये देश इस सरकार से क्या उम्मीद करे!!! आज फिर दोहरा रहा हूं कि वो बंदर वाली कहानी पढ़ लीजिए जो बेचारे अनजाने में मक्खी भगाने के चक्कर में और ये सोचकर कि राजा की नींद खराब ना हो जाए, तलवार से राजा की नाक पर बैठी मक्खी पर हमला कर बैठते हैं और राजा की नाक कट जाती है.
इससे पहले कि और छीछालेदर हो, संभल जाइए, वरना सचमुच आगे भगवान ही मालिक है!!!
(स्रोत-एफबी)
अवसरवादी पत्रकार वेद प्रकाश वैदिक की हाफिज सईद से मुलाक़ात बीजेपी-सरकार
की अनुमति के बगैर संभव
नहीं है. वह बाबा रामदेव की दवाइयों के प्रोमोशन के लिए पाकिस्तान नहीं गए
थे और न ही वह जुझारू पत्रकार रहे हैं जो टाइट सिक्योरिटी को चीरकर
आतंकवादी सरगना तक पहुँच गए हों. अभी बीजेपी शायद अंदर का भेद न खोले,
लेकिन वह अछूती नहीं है. वैदिक पहले भी कांग्रेस के लिए अनेक ख़ुफ़िया काम कर
चुके हैं. इस कार्य पर बवाल इसलिए हुआ कि हाफिज सईद के साथ का फ़ोटो
उन्होंने अपना ५६ इंच का सीना दिखाने के चक्कर में प्रेस को सौंप दिया कि
खूब वाहवाही होगी। पीएम खुश होंगे जिन्हे वह पहले ही अपना दोस्त बता चुके
हैं, वह उन्हें सरकार से जोड़ लेंगे। लेकिन उसी कांग्रेस ने उनकी प्लांनिग
बिगाड़ दी जिसके लिए वह पहले काम किया करते थे. अब मामला कश्मीर से जुड़ गया
है और देश की सुरक्षा से जुड़े कई सवाल उठ खड़े हुए हैं, इसलिये बीजेपी
सतर्क हो गई है. अगली पाली पीएम के आने के बाद खेली जा सकती है. ऐसी उम्मीद
की जा सकती है.
nadim akhtar ji aap hindu muslim ka jhagda kitne dino tak lele rakhoge. Aapko to har baat me dharmhi dikhata hai aur ye aapke patrakarita ki majboori hogi kyanki agar aap dharm se jodkar patrakarita nahi karoge to aapko koi pehchanega nahi. Maine is website pe kai lekh pade aur sabme aap muslim ho isi hisab se lekh likhte ho. Aur patrakarita ka pehala niyam hai ki aap nishpaksh hokar patrakarita karo. Agar vaidik congess ke shashan me gaye hote to me challenge deke kahat hu ki aap tab sarkar ki tarif karte aur vaidik ko bachate. tali kabhi ek hatase nahi bachati ye aapbhi acchi tarah jante honge