रवीश कुमार टेलीविजन रिपोर्टिंग को ज़िंदा रखने का भरसक प्रयास कर रहे हैं.. स्टूडियो से निकलकर ज़मीन पर जा रहे हैं. लोगों से बात कर रहे हैं ना कि विचार थोप रहे हैं.
लोग क्या सोचते हैं ये जरूरी है ना कि मीडिया क्या सोचती है वो.हैशटेग पत्रकारिता के दौर में वो पब्लिक के बीच में जाकर सहजता से अपनी बात निष्पक्षता से रखते हैं..
अभी नौ बजे हैं आप प्राइम टाइम और चैनलों पर भी देखिए. खुद सोचिए ये उन्माद क्यों फैलाया जा रहा है..किन चीजों को दरकिनार क्या जा रहा है…किन लोगों को इससे फायदा होगा..
हेमराज चौहान