वेद उनियाल
टीवी पर चुनाव के विश्लेषण के लिए कई राजनीतिक समीक्षक पैनल में बैठते हैं। राजनीति की किसी भी विषय पर चर्चा हो , उन समीक्षकों के चेहरे देखकर पहले ही पता लग जाता है कि ये अमूक विषय पर भाजपा , कांग्रेस या आप पार्टी के पक्ष में बोलेंगे।
यानी हमारे विद्वान समीक्षक पूरी तरह किसी खास पार्टी के लिए बायस्ड रहते हैं। यह स्थिति बहुत शर्मनाक है। कुछ ही समीक्षक है जो हर विषय़ पर अपनी अलग राय बनाते हैं। बरना अधिकांश तो राजनीतिक समीक्षक नहीं बल्कि किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता बन कर टीवी के पर्दे में नजर आते हैं। उनकी यह स्वामीभक्ति भारत के लोकतंत्र , पत्रकारिता दोनों लिहाज से खतरनाक है।
साथ ही कहीं न कहीं वह लोगों को गुमराह भी करते हैं। क्योंकि दर्शक उन्हें विद्वान समीक्षक या राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर सुन रहा होता है , जबकि वह एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह उपस्थित होतें हैं। जो ऐसा नहीं करते उनके लिए मन में पर्याप्त आदर।
(स्रोत-एफबी)
Abhay Dube, Ashok Wankhede,Dibang, Vijay Vidrohi inko congress party ne MP bana dena chahiye Rajyasabha me. Pure election me congress ki aur AAP ka prachar inhone rahul aur Kejri se jyada kiya hai.