टीवी एंकर और दिग्विजय सिंह के रिश्तों पर इतनी हाय-तौबा क्यों?

आशीष माहेश्वरी

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और पत्रकार अमृता राय के रिश्ते में यदि आपको कोई खोट नजर आती है तो दिक्कत उनकी नहीं बल्कि आपकी की है। अपनी सोच को थोड़ा विकस‍ित बनाएं। दिग्विजय की पत्नी का निधन हो चुका है। अमृता का अपने पति के साथ रिश्ता पहले से ही मधुर नहीं है। महिला पत्रकार ने कोर्ट में तलाक की अर्जी दी हुई है। दिग्विजय-अमृता के रिश्ते के बारे में कई पत्रकारों और नेताओं के साथ उनके पति को भी मालूम था। दिग्विजय-अमृता एक साथ उज्जैन के महाकाल में पूजा भी कर चुके हैं। शादी की खबर कई महीनों से पत्रकार ब‍िरादरी में चल रही थी। अमृता जल्दी ही अपने पति से तलाक लेने वाली हैं। जिसके बाद दिग्विजय और अमृता एक दूसरे से शादी कर लेंगे। इन दोनों की व्यक्तिगत जिंदगी का हर इंसान को सम्मान करना चाहिए। दिग्विजय कम से कम उन नेताओं से तो बेहतर हैं जो पूरी राज्य की मशीनरी को एक महिला के पीछे लगाकर जासूसी कराते हैं।

दयानंद पांडेय

जाने यह कौन सा मनोविज्ञान है कि दिग्विजय सिंह का टी वी एंकर अमृता राव से संबंध लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है। अमृता राव और दिग्विजय सिंह के कई-कई अंतरंग फ़ोटो जगह-जगह जारी हो रहे हैं। लेकिन सेक्यूलर खेमा और इस के ठेकेदार इस मामले पर पूरी तरह खामोश हैं। इस खेमे के टिप्पणीबाज़ सन्नाटा बुन रहे हैं। ऐसे ही एक समय लोग नरेंद्र मोदी से उन की एक लड़की के फ़ोन मसले पर घेरने, पत्नी यशोदा बेन को परित्यक्ता बनाने पर लोग बहुत परेशान हो गए थे। तब भाजपा खेमे के लोग सन्नाटा बुन रहे थे। अब यह लोग खासा सक्रिय हैं। एक गाना याद आ रहा है : इश्क के नाम पे करते सभी अब रासलीला है,मैं करूँ तो साला, करेक्टर ढीला है ! दिग्विजय सिंह शायद आज यही गाना गा रहे होंगे। लेकिन मेरा मानना है कि व्यक्तिगत को व्यक्तिगत ही रहने दिया जाना चाहिए। वह चाहे किसी भी का हो। यह चर्चा का विषय नहीं होना चाहिए। अगर दोनों पक्षों में से किसी को एक दूसरे से शिकायत नहीं है तो लोगों को काजी बन कर दुबला होने से बचना चाहिए । लोहिया कहते ही थे कि अगर किसी संबंध में ज़बरदस्ती या शोषण नहीं है तो वह नाजायज नहीं है।

(स्रोत-एफबी)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.