अभय सिंह-
यूपी चुनाव से पहले न्यूज़ 24 के एंकर सैयद सुहैल साइकिल पर सवार होकर सुनियोजित तरीके से अखिलेश यादव के लिए यूपी के हर गाँव, शहर में वोट बटोरते दिख रहे थे।शायद एक कांग्रेसी चैनल ने पैसों के लिए समाजवादी सरकार के पक्ष में हवा बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
2017 यूपी चुनाव नतीजे 2004 में बीजेपी के शाइनिंग इंडिया के धराशायी होने की तरह बेहद अचंभित करने वाले रहे।अखिलेश के खिलाफ यदि सत्ता विरोधी लहर नहीं थी तो सपा का केवल 47 सीटों पर सिमट जाना अचंभित कर कर देने वाला है।
अब बात आती है क्या अखिलेश को बड़े मीडिया हॉउस ने जमीनी फीडबैक नहीं दिया या गुमराह किया।कुछ दिनों पहले ऐसी खबरे आयी थी की कई मीडिया समूह के मालिकों ने पारिवारिक नाटक से अखिलेश की छवि बेहतर होने एवं कांग्रेस से गठबंधन होने पर उनकी स्थिति और मजबूत होने की बात उनसे साझा की थी।
परिणामों से साफ पता चलता है कि परिवारिक नौटंकी से अखिलेश को कोई लाभ नहीं हुआ उल्टा भीतरघात की संभावना बलवती हुई।बड़े मीडिया ग्रुप टीवी टुडे ग्रुप,न्यूज़24,टाइम्स ग्रुप, एवं हिंदी के कई छोटे बड़े प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वर्ग से अखिलेश यादव की नजदीकी किसी से छुपी नहीं है।2012 से लगातार टाइम्स ऑफ़ इंडिया,जागरण सहित कई अखबारो में अखिलेश यादव के बेहताशा विज्ञापन,सरकार की चाटुकारिता की खबरे हर पन्नें पर दिख जाया करती थीं।टीवी टुडे से राहुल कँवल के कई पेड इंटरव्यू एवं पारिवारिक ड्रामे पर एकतरफा रिपोर्टिंग,अखिलेश की जीत की सम्भावना पर उनके लेख से इस बात पर बल मिलता है की पैसों के लिए मीडिया का ये तबका किसी भी हद तक गिरने को तैयार है।
आज पंजाब ,यूपी, के नतीजे पेड मीडिया की संभावनाओ के उलट आने पर अखिलेश यादव,केजरीवाल के लिए किसी सदमे से कम नहीं है।मीडिया के फर्जी सर्वे में जीते दोनों नेता अपनी करारी हार का दोष इवीएम पर मढ़कर अपने कार्यकर्ताओ को दिलासा दे रहे है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)