सुयश सुप्रभ
तरुण तेजपाल कांड में महिला पत्रकार ने जो आरोप लगाया है उसकी सच्चाई पर आउटलुक पत्रिका में सवाल उठाया गया है। सीसीटीवी फ़ुटेज में तेजपाल एक बार भी उस पत्रकार को लिफ़्ट में खींचते नहीं दिखते हैं।
आश्चर्य तो इस बात पर भी होता है कि इस फ़ुटेज में महिला पत्रकार दौड़कर उस लिफ़्ट में घुसते हुए नज़र आती हैं जिसमें तरुण तेजपाल मौजूद थे। लिफ़्ट में खींचने वाली बात बहुत महत्वपूर्ण है और एफ़आईआर में भी इसका ज़िक्र हुआ है।
ऐसे में आउटलुक के पाठकों समेत हम जैसे लोगों के मन में सवाल उठना स्वाभाविक ही है। क्या अपराध हमेशा काले और सफ़ेद रंगों में दिखता है? क्या किसी पत्रकार की याददाश्त इतनी खराब हो सकती है?
(स्रोत-एफबी)