तमिलनाडु का मीडिया घोटाला

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@ एन श्रीनिवास, तमिल पत्रकार

साल 2011 में जब दयानिधि मारन ने केंद्रीय कपड़ा मंत्री के ओहदे से इस्तीफा दिया, तब उन्होंने दूरसंचार मंत्रालय से एक छोटा-सा निवेदन किया था। उन्होंने चेन्नई में बोट क्लब स्थित अपने आलीशान मकान के दो टेलीफोन नंबरों 24371515 और 24371616 को न हटाने की अपील की थी। पहली नजर में यह एक सामान्य अनुरोध ही लग सकता है: आखिरकार पूर्व दूरसंचार मंत्री और सांसद होने के नाते वह इन नंबरों की मांग कर सकते थे। उन्होंने तब यह सोचा न होगा कि इससे एक घोटाले का खुलासा हो जाएगा, जिससे उन्हें व उनकी पार्टी को शर्मसार होना पड़ेगा।

पिछले सप्ताह सीबीआई ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया- दयानिधि मारन के निजी सचिव, सन टीवी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर और इस मीडिया समूह में नियुक्त बिजली कर्मचारी। गौरतलब है कि सन टीवी दयानिधि के भाई का है। विश्लेषकों का कहना है कि यह तो शुरुआत है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, और भी लोग सलाखों के पीछे जाएंगे, क्योंकि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है। और जैसा कि अमूमन राजनेताओं की प्रतिक्रिया होती है, दयानिधि ने भी इसे ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ बताते हुए कहा कि सीबीआई ‘तमिलनाडु से आरएसएस के एक नेता’ को खुश करने के लिए उन्हें ‘फंसाना’ चाहती है। हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह साफ था कि उनका इशारा चार्टर्ड एकाउंटेंट व खोजी स्तंभकार एस गुरुमूर्ति की तरफ था। गुरुमूर्ति ने साल 2011 में न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अपने एक स्तंभ में इस घोटाले पर हमला बोला था। वह यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दयानिधि मारन को मुख्य आरोपी बनाते हुए एक याचिका भी दायर कर दी।

दरअसल, भारतीय संचार निगम लिमिटेड (बीएसनएएल) के पूर्व सब डिविजनल इंजीनियर ने सबसे पहले इस घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई। उसने यह उजागर किया कि दयानिधि मारन के घर से एक निजी टेलीफोन एक्सचेंज का संचालन हो रहा है, जो कलानिधि मारन के टेलीविजन कारोबार को फायदा पहुंचा रहा है। गुरुमूर्ति ने इस पूरे घोटाले के बारे में जो पाया, उसका सार कुछ यूं था कि टेलीकॉम मंत्री रहते हुए दयानिधि मारन को बीएसएनएल से अपने घर में 323 टेलीफोन लाइनों की सुविधा मिली। वह भी दिल्ली के सरकारी आवास में लगाने के लिए नहीं, बल्कि चेन्नई स्थित आवास के लिए, जिसका उनके सरकारी कामकाज से कोई लेना-देना न था। उन्हें ये सारे नंबर उनके नाम से नहीं, बल्कि चेन्नई में बीएसएनएल के मुख्य प्रबंधन के नाम से जारी किया गया। बीएसएनएल ने बोट क्लब स्थित उनके घर से अन्ना सनाई स्थित सन टीवी के दफ्तर तक अलग से भूमिगत केबल बिछाए और उनके घर पर लगे नंबरों को कलानिधि मारन के सन टीवी के नेटवर्क से जोड़ा। चूंकि तमाम टेलीफोन लाइनों के पहले चार अंक एक ही थे, इस तरह वे एक घरेलू टेलीफोन एक्सचेंज में तब्दील हो गए थे।

गुरुमूर्ति के मुताबिक, ये टेलीफोन लाइनें सामान्य नहीं थीं, बल्कि बेहद महंगी आईएसडीएन लाइनें थीं, जो टीवी न्यूज के भारी डाटा का संचरण कर सकती थीं और अत्यंत तेज गति से कार्यक्रमों का प्रसारण करने में सक्षम थीं। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में दर्ज किया है कि इन लाइनों का ‘आम तौर पर मध्यम या बड़ी कारोबारी कंपनियां इस्तेमाल करती हैं, ताकि वे वीडियो कांफ्रेन्सिंग, भारी मात्रा में ऑडिया-वीडियो डाटा के प्रसार’ की अपनी जरूरतें पूरी कर सकें। निश्चित रूप से सन टीवी को अपने प्रसारण के लिए इस सुविधा की दरकार थी। इसके लिए भारी रकम चुकानी पड़ती। लेकिन सरकारी खजाने की कीमत उसे ये सारी सुविधाएं मुफ्त में मिल गईं। गुरुमूर्ति के आकलन के अनुसार, यह 440 करोड़ को घोटाला है, हालांकि वह मानते हैं कि रकम ज्यादा भी हो सकती है।

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