बंद होने की कगार पर संस्कृत अखबार सुधर्मा

संस्कृत अखबार सुधर्मा
संस्कृत अखबार सुधर्मा
संस्कृत अखबार सुधर्मा

संस्कृत को लेकर सरकारी स्तर पर चाहे कितनी भी बड़ी – बड़ी बातें क्यों हो जाए, हकीकत कुछ और ही है. इसका जीता – जागता उदाहरण संस्कृत अखबार ‘सुधर्म’ है जो आर्थिक दिक्कतों की वजह से बंद होने की कगार पर खड़ा है.

सुधर्मा दुनिया का एकमात्र संस्कृत दैनिक अखबार है जो यदि अपना अस्तित्व बचा पाया तो एक महीने बाद अपनी लॉन्चिंग का 46वां साल पूरा कर लेगा. यह एक पन्ने का अखबार है और इसका सकुर्लेशन तकरीबन 4,000 है। हालांकि इसके ई-पेपर के एक लाख से ज्यादा पाठक हैं जिनमें ज्यादातर इजरायल, र्जमनी और इंग्लैंड के हैं।

संस्कृत के विद्वान कलाले नांदुर वरदराज आयंगर ने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए 15 जुलाई, 1970 को यह अखबार शुरू किया था।

आयंगर के पुत्र और सुधर्मा के संपादक के वी संपत कुमार कहते हैं कि अखबार की छपाई जारी रखना बहुत संघर्षपूर्ण रहा है और कोई सरकारी सहायता भी हमें प्राप्त नहीं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.