सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बीच चली जुबानी जंग की ‘गाज’ महिला सुरक्षा विधेयक के कुछ प्रावधानों पर गिर गई है। वर्मा के तीखे बयानों से नाराज मुलायम आर-पार के फैसले की मानसिकता में आते लगे, तो सरकार के रणनीतिकारों ने उनकी मनुहार शुरू कर दी। इसी के चलते प्रस्तावित महिला सुरक्षा विधेयक के वे प्रावधान हटाए जा रहे हैं, जिनको लेकर सपा सुप्रीमो एकदम गरजने-बरसने लगे थे। अब सरकार विवादित प्रावधानों को बदलकर ही इसे संसद में पेश करने जा रही है। सरकार की इस ‘फुर्ती’ के पीछे सपा की नाराजगी एक बड़ी वजह मानी जा रही है।
इस विधेयक के विवादित प्रावधान संशोधित कर लिए गए हैं। नए संशोधन पर कैबिनेट की मुहर भी लग रही है। मुकम्मल तैयारी है कि संशोधित विधेयक को आज लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया जाए। सरकार के रणनीतिकार चाहते हैं कि इस विधेयक पर बुधवार तक लोकसभा की मुहर लग जाए। अगले दिन इसे राज्यसभा में रखा जाएगा। कोशिश हो ही है कि राज्यसभा से भी इसे शुक्रवार को पास करा लिया जाए। यदि सरकार अपनी इस कार्ययोजना में सफल रहती है, तो उसे एक बड़ी राजनीतिक राहत मिल जाएगी।
कल सुबह यहां प्रस्तावित विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए एक सर्वदलीय बैठक सरकार ने बुलाई थी। लेकिन, कई वजहों से नाराज चल रहे सपा नेतृत्व ने इस दौरान तीखे तेवर अपना लिए। यही कहा गया कि आम सहमति से सेक्स की उम्र 18 से घटाकर 16 करने का प्रस्ताव हर दृष्टि से अनुचित है। ऐसा करके सरकार शादी से पहले सेक्स के लिए बढ़ावा देने जा रही है। इस तरह की बात पूरे समाज के लिए शर्मसार करने वाली होगी। मुख्य विपक्षी दल भाजपा, तृणमूल कांग्रेस और अन्नाद्रुमक के नेताओं ने भी सपा के विरोध को जायज ठहराया। भाजपा नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि इस तरह का प्रस्ताव लाकर सरकार भारतीय संस्कृति के साथ बलात्कार करने जा रही है।
भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी कहते हैं कि उनकी पार्टी महिलाओं के प्रति होने वाले यौन-अपराधों के खिलाफ कड़ी सजा के प्रावधानों की हिमायती है। लेकिन, उसे प्रस्तावित विधेयक के उम्र वाले बिंदु पर खास ऐतराज है। यदि सरकार ने अड़ियल रुख अपनाया, तो संसद में विधेयक का पास कराना मुश्किल हो जाएगा। जबकि, वामदलों के नेताओं ने यही तर्क दिया कि युवाओं में शादी के पहले सेक्स एक हकीकत है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता। सहमति से रिश्ते के लिए उम्र-सीमा 18 रखने से बलात्कार के फर्जी मामलों की बाढ़ आ रही है। ऐसे में, सरकार का प्रस्ताव उनकी नजर में व्यवहारिक है।
सीपीएम के नेताओं ने भले उम्र के विवाद पर सरकार का समर्थन दिया हो, लेकिन इन लोगों ने कई और मुद्दों पर अपनी जोरदार आपत्ति जता दी। सीपीएम के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी कहते हैं कि प्रस्तावित विधेयक में बलात्कार के कुछ मामलों में फांसी की सजा का प्रस्ताव है। उनकी पार्टी इसे व्यवहारिक नहीं मानती। ऐसे में, जरूरी है कि सरकार संसद में इसे पेश करने के पहले, जरूर बदल ले।
वामदलों ने फांसी की सजा पर ऐतराज दर्ज कराया, तो भाजपा नेताओं को लगा कि इसमें ऐतराज करने लायक कुछ नहीं है। क्योंकि, देश में जिस तरह से यौन-हमले और गैंगरेप के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में जरूरी हो गया है कि कड़ा कानून बना दिया जाए। यह मामला पूरे देश की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। ऐेसे में, इस मामले में दलगत राजनीति के हथकंडे नहीं अपनाए जाने चाहिए। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में पिछले वर्ष 16 दिसंबर को एक छात्रा के साथ गैंगरेप की बर्बर घटना हुई थी। इसको लेकर देशव्यापी आंदोलन खड़ा हुआ था। जन-आक्रोश को देखते हुए सरकार ने कड़े कानून के लिए एक अध्यादेश जारी कर दिया था। यह अध्यादेश 3 फरवरी से लागू है। इसकी अवधि 4 अप्रैल तक है। इसके तहत यौन-अपराध के मामलों में तमाम कड़ी सजाओं का प्रावधान किया गया है।
सरकार की कोशिश है कि अध्यादेश की अवधि खत्म होने के पहले ही नया कानून उसकी जगह ले ले। ऐसे में जरूरी हो गया है कि सरकार इस मुद्दे पर विपक्ष को भरोसे में ले। 22 मार्च के बाद संसद सत्र का मध्यावकाश होने जा रहा है। 22 अप्रैल से बजट सत्र का दूसरा दौर शुरू होना है। ऐसे में, विधेयक को पास कराने के लिए सरकार के पास केवल चार दिन का समय है। सपा और भाजपा के तेवरों को देखकर सरकार ने बगैर देरी के कई प्रावधानों पर ‘यू-टर्न’ ले लिया है। अब सहमति से सेक्स की उम्र पहले की तरह 18 वर्ष ही रहेगी। महिलाओं को घूरने और उनका पीछा करने जैसे मामलों में भी संशोधन किया गया है। पहले इन अपराधों को गैर-जमानती श्रेणी में रखा गया था। लेकिन, सपा की नाराजगी के चलते अब इन मामलों को जमानती श्रेणी में रख दिया गया है। क्योंकि, सपा का ऐतराज था कि ऐसे कानून से फर्जी मामलों की बाढ़ आ जाएगी। यहां तक कि राजनीतिक रंजिश में भी लोग महिलाओं को ‘हथियार’ बनाने लगेंगे। यह डर बसपा नेतृत्व ने भी जताया था। लेकिन, उसने सरकार के प्रस्तावों का समर्थन ही किया था।
केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने रविवार को एक विवादित बयान देकर सपा नेतृत्व को नाराज कर दिया है। बेनी प्रसाद ने एक जनसभा में कह दिया था कि मुलायम सिंह के आतंकवादियों से करीबी रिश्ते हैं। केंद्रीय मंत्री ने सपा सप्रीमो को भ्रष्ट और गुंडा भी करार किया था। इसको लेकर सपा कार्यकर्ताओं ने भारी विरोध प्रदर्शन शुरू किए। कल संसद में भी इस मुद्दे पर भारी हंगामा रहा। मुलायम ने बेनी को बर्खास्त करने की मांग कर डाली। संकेत दिए कि यदि कांग्रेस नेतृत्व ने उनके सम्मान की रक्षा नहीं की, तो वे सरकार से समर्थन वापस लेने में नहीं हिचकेंगे।
उल्लेखनीय है कि मनमोहन सरकार को सपा बाहर से समर्थन दे रही है। मौजूदा स्थितियों में सपा का समर्थन सरकार के लिए काफी अहम है। भाजपा सहित पूरा विपक्ष वैसे ही आक्रामक मुद्रा में है, ऐसे में कांग्रेस रणनीतिकार नहीं चाहते कि ‘संकटमोचक’ मुलायम कांग्रेस से ज्यादा दूरियां बना लें। इसी के चलते प्रधानमंत्री ने बेनी प्रसाद पर माफी मांग लेने के लिए दबाव भी बढ़ाया है। सपा सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने खुद मुलायम से खेद जता दिया है। लेकिन, सपा नेतृत्व का गुस्सा पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाया है। माना जा रहा है कि मनुहार के पहले कदम के तौर पर महिला सुरक्षा विधेयक के मामले में वे संशोधन कर दिए गए हैं, जिनके लिए मुलायम का खास जोर था।
सूत्रों के अनुसार, अलग से हुई मुलाकात में प्रधानमंत्री ने कल शाम सपा सुप्रीमो को बता दिया था कि सरकार ने उनकी भावनाओं का कद्र करते हुए विधेयक में जरूरी संशोधन करने तय कर दिए हैं। इसके बाद संसदीय कार्य मामलों के मंत्री कमलनाथ ने ऐलान भी कर दिया कि लोकसभा में विधेयक का जो प्रारूप रखा जाएगा, वह संशोधित ही होगा। इसके लिए फटाफट कैबिनेट की मंजूरी भी ले ली गई। सूत्रों के अनुसार, सपा नेतृत्व को खुश करने के लिए वित्तमंत्री पी. चिदंबरम उत्तर प्रदेश सरकार को जल्द ही कुछ बडेÞ आर्थिक पैकैज दे सकते हैं। इस आशय के भी संकेत सपा सप्रीमो के पास भेज दिए गए हैं।
मुश्किल यही है कि इस बार मुलायम सिंह ने बेनी बाबू को लेकर कुछ-कुछ जिद्दी रवैया अपना लिया है। वे इस बात से जरूर खुश हैं कि सरकार ने महिला सुरक्षा विधेयक मामले में उन लोगों के विरोध के बाद प्रारूप संशोधित कर लिया है। मुलायम अपने लोगों से कह रहे हैं कि अभी तो उनका यह ‘ट्रेलर’ भर है, पूरी ‘फिल्म’ तो अभी बाकी है। देखते जाओ, यह सरकार कदम-कदम पर उनके सामने घुटने टेकेगी। नेता जी का यह खांटी अंदाज, पार्टी कार्यकर्ताओं को बहुत भाने लगा है। महिला सुरक्षा विधेयक पर संशोधन का फैसला सपा अपनी राजनीतिक जीत के रूप में देख रही है।
(लेखक वीरेंद्र सेंगर डीएलए (दिल्ली) के संपादक हैं। इनसे संपर्क virendrasengarnoida@gmail.com के जरिए किया जा सकता है।)