आज एसपी होते तो ट्रोल किए जाते

sp singh ki yaad poster

एस पी की याद में आयोजित मीडिया खबर एस पी सिंह स्मृति परिचर्चा की सुबह थोडे देर के लिए हम बेहद भावुक तो जरुर हो जाते हैं, न्यूज चैनलों की वास्तविक सच्चाई से छिटककर नॉस्टैल्जिया में चले जाते हैं लेकिन स्थिति है बिल्कुल अलग. चारों तरफ जब लोगों की परिकल्पना पर नजरें दौडता हूं कि आज एसपी होते तो क्या होते तो सीधा सा जवाब ध्यान में आता है- वो या तो लगातार ट्रोल किए जाते या फिर उनकी आंखो के सामने उनके प्रतिमान ध्वस्त हो जाते.

सवाल सिर्फ एसपी के होने और मौजूदी दौर के बीच की संभावना नहीं है. सवाल इससे ज्यादा बडे और गहरे हैं कि कोई आज एसपी जैसी पत्रकारिता करना चाहे तो उसकी कितनी संभावना है ? व्यक्ति से इतर एक स्कूल के तौर पर वो कहां तक टिक पाते ? उनके स्कूल से निकले लोग उसे कहां ले जा रहे हैं ?

मीडिया खबर द्वारा हर साल आयोजित इस परिचर्चा में हम इन्हीं सवालों के बीच होते हैं. तो आइए, आज एक बार फिर..

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