पत्रकारिता के महानायक एसपी सिंह अपने बुलेटिन में साहित्य, संस्कृति,गाँव, किसान और उनकी समस्याओं को भी जगह देते थे। उनके बारे में वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि वे प्रतिदिन अलग-अलग भाषाओँ के कई अखबार पढ़ते थे और दूर-दराज व ग्रामीण पृष्ठभूमि की खबर निकालकर उसपर स्टोरी करवाते थे.वरिष्ठ टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया ने भी कई बार ये बात कही है. बहरहाल उनके कार्यक्रम में खेती-किसानी और बाग़-बगीचों को महत्व देते हुए, फूलों की बजाए लीची के गुच्छे से अतिथियों का स्वागत किया गया. इसका उद्देश्य मुजफ्फरपुर की शाही लीची को प्रमोट करना था. लीची बचाओ आंदोलन के तहत इस मुहिम की शुरुआत हुई.
मीडिया खबर डॉट कॉम के संपादक पुष्कर पुष्प सोशल मीडिया लिखते हैं – “मीडिया खबर कॉनक्लेव में वक्ता और अतिथियों का स्वागत लीची से किया गया।। हमने पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से उसे प्लास्टिक के गिफ्ट रैप में पैक भी नहीं कराया।।ये पहल सभी को बहुत पसंद आयी। लीची प्रदेश से होने की वजह से हमारा हृदय भी लीची-लीची हो गया।। ”
वहीँ मीडिया खबर मीडिया कॉन्क्लेव और एसपी सिंह स्मृति परिचर्चा के वक्ता और वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी लिखते हैं – “ज़्यादातर कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत बुके से ही किया जाता है। पुष्कर पुष्प ने इसमें सुखद बदलाव किया, अतिथियों का स्वागत लीची देकर किया। इससे पहले भी कई जगह कार्यक्रमों में स्वागत पौधे का गमला देकर किया गया। इस साल मिले ऐसे २ गमले मेरी बालकनी में सुशोभित हैं। मुझे लगता है कि कम से कम अकादमिक, शैक्षणिक, साहित्यिक कार्यक्रमों में पुस्तक, पौधे और जिस जगह कार्यक्रम हो, वहाँ की स्थानीय पहचान वाली वस्तु देकर अतिथियों का स्वागत करना सार्थक होता है। प्रभाव भी दीर्घजीवी होता है।”