दिल्ली में गैंगरेप की घटना से पूरा देश हिल गया. न्यूज़ चैनलों ने संवेदना के चादर में लपेट कर खबरों को कुछ यूँ पेश किया कि लोग इंडिया गेट पर आने से अपने आप को रोक नहीं पाए. बिना बुलावे और बिना किसी नेतृत्व के एक आंदोलन खड़ा हो गया.
आंदोलन की कोई दिशा नहीं, लेकिन लोग उस लड़की के लिए इन्साफ चाहते थे. ऐसा लगा कि भावनाओं का समुन्द्र ही उमड़ पड़ा है और इस समुन्द्र में खेवैया बनकर न्यूज़ चैनलों ने टीआरपी की खूब सेवईयाँ खाई. ग्लैमर का तड़का भी लगा और खूब तमाशे भी हुए.
आजतक के उस तमाशे पर भी खूब चर्चा हुई जिसमें एक महिला एंकर के साथ मनचलों ने चुहलबाजी की और उस चुहलबाजी की गूँज संसद तक गूंजी. यह किसी ड्रामा से कम नहीं था. लेकिन ड्रामा सफल रहा. हालाँकि इस ड्रामे के अंत में खलनायक चुहलबाजों की जो परिणिति होनी चाहिए थी वह न होनी थी और न अबतक हुई.
यानी देश – दुनिया में हो रहे महिला अत्याचार के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाला आजतक अपने एंकर के साथ हुई चुहलबाजी के खिलाफ खबर चलाने से ज्यादा क्या कर पाया है, अबतक पता नहीं चला पाया. दूसरी तरफ छेड़खानी की शिकार महिला एंकर जो स्क्रीन पर बेहद बहादुरी दिखाती है , अपने मामले में कितनी बहादुरी दिखा पायी, हमें ये भी नहीं पता.
ख़ैर आंदोलन बड़ा हो गया और कोई शक नहीं कि तमाम तरह के तमाशे के बावजूद आंदोलन का श्रेय न्यूज़ चैनलों को ही जाता है. उन्होंने जिस तरह से मामले को दिन – रात दिखाया, उससे पूरा देश मामले में घुसता चला गया और दूसरे बलात्कार के मामलों की तरह दो दिन की खबर बनकर यह खत्म नहीं हुई. बल्कि खबर से बढ़कर मामला आंदोलन तक जा पहुंचा. सरकार हिल गयी और कुछ इस कदर खौफजदा हुई कि अलोकतांत्रिक तरीके से लोगों को हटाया और इसके लिए बड़ी साजिश रची. न्यूज़ चैनलों के कैमरों पर भी बौछार हुई और आईबी मिनिस्ट्री ने एडवाइजरी तक जारी कर चैनलों को धमका डाला. असर ये हुआ कि न्यूज़ चैनलों पर फिर से सचिन,क्रिकेट और वीणा मल्लिक की वापसी हुई.अचानक से सारे चैनलों की भाषा बदल गयी. सभी चैनल शांति के मसीहा नज़र आने लगे.
बहरहाल इसी भागमभागी में दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल सुभाष तोमर की मौत हो गयी और सियासत उसकी मौत को भी अपने तरीके से इस्तेमाल करने से नहीं चूका. हालंकि चश्मदीद ने आकर दिल्ली पुलिस के अरमानों पर पानी फेर दिया. इधर पीड़िता के बयान को लेकर विवाद छिड़ गया. यानी पूरा तमाशा हो गया. चैनल इस खबर से भी खेलते रहे. लेकिन कोई ठोस तस्वीर नहीं दिखा पाए.
आजतक पर ‘वारदात’ पेश करने वाले शम्स ताहिर खान जो दिल्ली पुलिस कमिश्नर की पहले से ही पुंगी बजाते आये हैं , ने कल फिर खिंचाई की. सामूहिक दुष्कर्म मामले में शीला दीक्षित , पुलिस कमिश्नर,बयान आदि पर हो रहे विवाद के मद्देनज़र वारदात की हेडलाइन बनायीं – ‘केस का गैंगरेप.’ लेकिन ये हेडलाइन देखकर कहने की इच्छा हुई कि शम्स भाई दिल्ली पुलिस के साथ-साथ आपलोगों ने भी तो ख़बरों का गैंगरेप किया. रेप की खबर तो दिखाई लेकिन खबर दिखाते – दिखाते खबर का ही गैंगरेप कर दिया.
(एक दर्शक की नज़र से )