विनीत कुमार
अपनी बालकनी में जब भी इस गुलाब को खिला देखता हूं, मुझे कुछ और नहीं सलमा सुल्तान के बालों में लगे गुलाब का ध्यान हो आता है. वो जब दूरदर्शन पर समाचार पढ़ा करती थी, तब न तो हमारे घर टेलीविजन हुआ करता था और न ही जब हुआ तो गुलाब का रंग जान लेने जैसी मेरी टीवी की हैसियत थी.
लेकिन दूरदर्शन के न्यूज एंकर जिन्हें पहले अनाउंसर कहा जाता था, पर जब भी बात हुई, सलमा सुल्तान के इस गुलाब को लेकर राजदीप सरदेसाई (doordarshan@50) से लेकर नगमा( हमलोग, एनडी़टीवी इंडिया) और ऋचा अनिरुद्ध( जिंदगी लाइव, ibn7) ने जरूर सवाल किए और जब सवाल किए तो साथ में वो फुटेज भी दिखाए जिसमे सलमा के बालों के बीच फंसे गुलाब का रंग बिल्कुल मेरी बालकनी में खिले गुलाब के रंग सा हुआ करता. जैसे होली के गुलाल को पानी में घोलकर किसी ने ए4 साइज के झकझक सफेद पेपर पर गिरा दिए हों और हटा दिए जाने के बाद जो रंग छूटा रह जाता है बिल्कुल वैसा ही. तब समाचार पढ़ना कितना गंभीर काम हुआ करता था, आप कुछ भी कर लें, आज के न्यूज एंकर की तरह हीं-हीं, ठी-ठी किसी हाल में नहीं कर सकते थे..लेकिन देखिए कि इस गंभीरता के बीच गुलाब की याद किसी हिन्दी सिनेमा की सीन की तरह आज भी याद किए जाते हैं.
इधर अब जब पिंक लिप्स-पिंक लिप्स ट्रैक सुन रहा हूं तो लगता है पिंक जैसे बेहद खूबसूरत रंग और उतने ही खूबसूरत शब्द का उच्चारण किस दरेरा देकर किया जा रहा है..जैसे किसी को एक शब्द के जरिए, रंग के दम पर धमकाने, धकियाने और चैलेंज किया जा रहा हो.. सच में इन सबके बीच सलमा की सादगी का सौन्दर्य आकर्षण से ज्यादा आध्यात्म की तरफ खिसक गया है जिसे याद करते वक्त ये सारे एंकर भी सम्मान और ठहराव की मुद्रा में आ जाते हैं.
(स्रोत-एफबी)