सुजीत ठमके
२६ जून २००६ नेटवर्क-१८ के सभी अंग्रेजी, हिंदी, मराठी,बिज़नस चैनल्स पर एक बड़ी स्टोरी देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से ऑन एयर हुई थी। यह स्टोरी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से थी। इस स्टोरी को ब्रेक करनेवाले मराठी पत्रकार रविन्द्र आम्बेकर थे। वैसे महाराष्ट्र के मीडिया जगत में कुछ चुनिंदा टीवी पत्रकार है जो बड़े स्टोरी पर काम करते है। जान हथेली पर डालकर असाइनमेंट को अंजाम देते है और नतीजों तक पहुचाते है। जिसका असल राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पड़ता है। रविन्द्र आम्बेकर फिलहाल मी मराठी चैनल में एडिटर- इन-चीफ पद पर कार्यान्वित है। अर्श से फर्श तक कामयाब सफर करने वाले रविन्द्र ने पत्रकारिता की शुरुवात एक लोकल चैनल से की। ई -टीवी नेटवर्क के जरिये सेटेलाइट चैनल में पैर रखे। क्षेत्रीय और राष्ट्रीय चैनेलो विभिन्न पदो पर काम करने वाले आम्बेकर को खबरों को जाँचने, परखने, परोसने की अद्भुत में। भलेही लेंग्वेज पर उतनी बेहतर पकड़ ना हो किन्तु खबरों में वो मास्टर है। पैनी नजर के चलते खबरों को अंजाम तक पहुचाते है। मानो भारतीय टीवी पत्रकारिता के जनक एपी साहब के फौज के एक सिपाई है।
प्रबंधन के कारोबार को लेकर विवाद और अलग अलग राह हो सकती है। वो एक अलग मसला है। किन्तु के आम्बेकर की टीवी पत्रकारिता पर कभी किसीने उगंली नहीं उठाई। साधारण सा दिखने वाला शांत स्वाभाव के इस पत्रकार को केवल मुंबई के मीडिया कर्मी ही नहीं देश के जाने माने पत्रकार भी सलाम ठोकते है। २६ जून २००६ को दोपहर के समय आईबीएन-७, सीएनएन- आईबीएन पर एक खबर चली थी। हेडलाइन्स थी ” शेयर मार्केट में लगी है माओवादिओयो की बड़ी पूंजी। आम्बेकर ने इस स्टोरी पर काफी मेहनत की थी। काफी तथ्य इकट्ठ किये थे। विभिन्न माओवादी संघठन के नेता, देश के मार्केट एनालिस्ट से बात की थी। एकतरफ जहा ग्लोबल स्लोडाउन ही सुगबुगाट लगी थी तो दूसरी तरफ देश का शेयर मार्केट कई उचाईयो तक पहुंचा था। देश की राजनीतिक पार्टियाँ, मार्केट एनालिस्ट लगातार शेयर मार्केट के पिक पर पहुचने की जांच कर रहे थे। ऐसे में रविन्द्र आम्बेकर की स्टोरी ने हड़कम्प मचा दिया था।
महाराष्ट्र के नक्सल ज़ोन के आईजी पंकज गुप्ता ने दबी जुबान में ही सही इस खबर की पुष्टि की थी। इस खबर से देश के तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंमबरम की नींद उडी थी। सेबी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर ने आनन पानन में मीटिंग बुलवाई थी। खबर से रिज़र्व बैंक के गवर्नर के साथ साथ प्रवर्तन निदेशालय विभाग के भी होश उड़े । निवेशक डरे सहमे थे। महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने जांच का भरोसा दिलाया। इस ब्रेकिंग स्टोरी का सच अभी तक सामने नहीं आया। आम्बेकर केवल एसी के कमरो में बैठकर ज्ञान बघारने वाले पत्रकार नहीं है। जमीनी हकीकत हो जानते है। जेपी के विचारो के साथ साथ आम्बेडकर, फुले जैसे महापुरुषों के विचारो की गहरी निष्ठ है। इसीलिए वो खबरों को ट्रिपल सी ( क्रिकेट, क्राइम और सिनेमा ) के बाहर देखते है। सामाजिक सरोकार के जुड़े मुद्दे मसलन दलित, आदिवासी उत्पीड़न, विस्थापित लोगो के गंभीर मुद्दो को तवज्जो देते है। नए और काम के लिए दर दर की ठोकरे खाने वाले नए युवाओ को वो अवसर देते है। डाउन- टू-अर्थ आम्बेकर का कोई गॉड फादर नहीं है इसके बावजूद मीडिया में शीर्ष स्थान पर पहुचना कोई आसान सफर नहीं है।