सेक्सुअल असॉल्ट के आरोपी एंकर का रेप कांड पर एंकरिंग, न्यूज़ एंकरों का कोई ‘मानक’ नहीं

मुंबई में एक पत्रकार हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे दाउद के खास आदमी है. खास इतने कि पत्रकारिता का मुखौटा लगाये वसूली आदि भी कर लेते हैं और जरूरत पड़ने पर गैंगवार आदि में भी भाग लेते हैं.

ख़ैर इनके बारे में ज्यादा लिखने की जुर्रत नहीं की जा सकती, कहीं सुपारी दे दी तो हमारी बत्ती तो गुल ही समझिए. पुलिस, कानून, सीबीआई और मेनस्ट्रीम के पत्रकार तक कुछ नहीं कर पा रहे तो हमारी और आपकी क्या औकाद?

चलिए दूसरा उदाहरण देते हैं. यह भी मुंबई का ही है. एक प्रसिद्द क्राइम शो के लिए कई साल पहले ऐसे रिपोर्टर की भर्ती हुई जिसके बारे में माना जाता है कि वह अरुण गवली का आदमी है.

 

तीसरा उदाहरण एक ऐसे ग्रुप के क्षेत्रीय चैनल हेड का, जो चैनल में महिला एंकरों की भर्ती ही समझौते के लिए तैयार होने पर करते हैं. उनकी कुख्याति दूर – दूर तक है. लेकिन वे साइकिल और हाथी के साथी हैं सो पैसे बहुत लाते हैं. इसलिए लाला जी कुछ नहीं कहते और वे रासलीला रचाते रहते हैं.

अब आप सोंच रहे होंगे कि मीडिया खबर या तो बात बना रहा है या फिर रिपोर्ट लिखने वाले भांग के नशे में ता ता थईया कर रहे हैं. लेकिन ये सारे उदाहरण देने का मकसद न्यूज़ इंडस्ट्री के अंदरूनी हालत से आपको वाकिफ कराना था कि तेजी से तरक्की करती इंडस्ट्री कैसे अपराधियों की भी शरणस्थली बनती जा रही है.

दरअसल न्यूज़ इंडस्ट्री एक ऐसी इंडस्ट्री बन गयी है जिसमें हर तरह के लोग खप जाते हैं. अपराधी, दलाल से लेकर बलत्कार और यौन उत्पीडन के आरोपी तक. मजे की बात है कि अपराध करने वाले ही नए मुखौटे में अपराध की आलोचना करते हैं और दूसरों को नैतिकता का पाठ पढाते हैं. इस मामले में न्यूज़ चैनल भी बड़े उदार है. अपने काम के लोगों को चाहे वो दागी भी क्यों न हो, उसे अपने में शामिल करते देर नहीं लगाता और खबरों के गंगाजल में डूबकी लगाकर शुद्ध हो जाता है. फिर बलात्कारी बलात्कार पर और उगाही करने वाले संपादक नैतिकता पर बात करने लग जाते हैं.

दिल्ली गैंगरेप मामला हुआ तो एक ऐसी ही घटना घटी जिसने ये पोस्ट लिखने पर मजबूर कर दिया. किसी 24 घंटे के न्यूज़ चैनल पर एक ऐसा एंकर बलात्कार और स्त्री अधिकार पर गाल बजाता दिखा जिसपर खुद ही यौन उत्पीडन का आरोप लगा है. यह आरोप उसकी एक सहयोगी ने तब लगाया जब वह लंदन में एक प्रतिष्ठित संस्थान के साथ जुड़ा हुआ था. भारत में इस प्रतिष्ठान को लंबे समय तक पत्रकारिता के ‘मानक’ की तरह देखा जाता रहा है.

ख़ैर अपनी जान फंसते देख सारे ‘मानक’ को तोड़ते हुए महोदय भारत भागे. यहाँ आकर उन्होंने अपने ऊपर ही फर्जी मुकदमा कर ऐसी व्यवस्था की वे विदेश न जा सके और इस लंदन में कानून के सामने पेशी से बच जाए.

भारत आकर ये जनाब एक 24 घंटे के न्यूज़ चैनल में एंकर बन बैठे और अब प्राइम टाइम में पत्रकारिता के सारे ‘मानकों’ को धत्ता बताते हुए रेप कांड की एकंरिंग और उसमें अपराधियों को फांसी जैसी सज़ा दिलाने का दम भर रहे हैं.

यह वही बात हो गयी कि चोर ही थानेदार बनकर चोरी की बुराइयों पर लंबा – चौड़ा व्याख्यान दे रहा है. सवाल उठता है कि ऐसे 24 घंटे के न्यूज़ चैनल पत्रकारिता में कौन से ‘मानक’ स्थापित कर रहे हैं? और ऐसे चैनल को चैनल 24 घंटे की बजाये चैनल420 कहना चाहिए.  अंत में उस एंकर के लिए वही घिसा – पिटा शेर अर्ज करेंगे कि जिनके घर शीशे के होते हैं , वो दूसरे के घर में पत्थर नहीं फेंका करते. एंकर महोदय आप नज़र में आ गए हैं. सो उलटी गिनती शुरू कर दीजिए. 10-9-8-7-6-5……… पाप का भांडा एक दिन खुद ब खुद फूटता है. आपका भी फूटेगा. बेफिक्र होकर स्त्री अधिकार और यौन उत्पीडन पर एंकरिंग करते रहिये. नमस्कार!

(एक दर्शक की नज़र से)

3 COMMENTS

  1. भइये स‌ाफ-साफ काहे नहीं लिखते कि वह न्यूज 24 का काबिल एंकर मानक गुप्ता है. और भइये ये तो बताओ कि न्यूज 24 गैंगरेप की खबर कवर करने के लिए अपने किसी रिपोर्टर को स‌िंगापुर भेजा कि नहीं, वैसे न्यूज 24 के पास प्रशांत गुप्ता जैसा ‘होनहार’ और अजित अंजूम का चहेता रिपोर्टर (या दलाल?) तो है ही, उसे काहे नहीं भेज देते स‌िंगापुर. बहुत बढ़िया बोलता है रे.

  2. भइये स‌ाफ-साफ काहे नहीं लिखते कि वह न्यूज 24 का महान एंकर मानक गुप्ता है. और भइये ये तो बताओ कि न्यूज 24 गैंगरेप की खबर कवर करने के लिए अपने किसी रिपोर्टर को स‌िंगापुर भेजा कि नहीं, वैसे न्यूज 24 के पास प्रशांत गुप्ता जैसा होनहार और अजित अंजूम का चहेता रिपोर्टर (या दलाल?) तो है ही, उसे काहे नहीं भेज देते स‌िंगापुर. बहुत बढ़िया बोलता है रे.

  3. वाकई ये बड़ा अफसोसजनक है कि जिसके खिलाफ विदेश में बलात्कार का मामला चल रहा हो वो हिन्दुस्तान में बलात्कार की घटना पर लेक्चर दे रहा है। ऐसे चैनल के संपादकों को शर्म नहीं आती जो इस तरह के एंकर से इस मसले पर ज्ञान दिलवाते हैं। कहीं चोर चोर मौसेरे भाई वाली बात तो नहीं ?

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