सुजीत ठमके
लोकसभा चुनाव के दौरान नेटवर्क -१८ के एडिटर- इन- चीफ राजदीप सरदेसाई ने मनसे चीफ राज ठाकरे का लिया गया इंटरव्यू सबसे चर्चित रहा। मनसे चीफ राज ठाकरे ने राजदीप सरदेसाई के पत्रकारिता करियर को कठघरे में खड़ा किया। इंटरव्यू के दौरान मनसे ने राजदीप सरदेसाई से कहा था। तुम्हारा पत्रकारिता का करियर ढलान पर है। दिल्ली, मुंबई के ख़ास दोस्त एवं मीडिया कर्मी ( मराठी में ” तुम्हारे ” शब्द का प्रयोग सम्मान से लिया जाता है ) तुम्हारे बारे में क्या क्या नहीं बोलते है। राजदीप तुम्हारा पत्रकारिता का करियर ख़त्म हो चुका है। तुम्हे सॅचूरेशन आया है। और कई ऐसे निजी हमले राज ठाकरे ने राजदीप सरदेसाई पर किये। पहली बार राजदीप सरदेसाई बैकफुट पर नजर। मनसे चीफ का राजदीप की पत्रकारिता को कटघरे में खड़ा करना महज इत्तफाक नहीं था ना ही कानाफूसी और हवाहवाई बाते। सूत्र बताते है की राजदीप सरदेसाई की निजी जानकारी मनसे चीफ ने इकठ्ठा की थी। वो तथ्य के साथ। और यह जानकारी मनसे चीफ को मुहय्या कराने वाले कोई और नहीं राजदीप सरदेसाई के दिल्ली,मुंबई के कुछ ख़ास मीडिया कर्मी थे जिसके राज ठाकरे से भी घरेलु ताल्लुकात है।
राजदीप सरदेसाई मीडिया जगत का ऐसा नाम जिसको भारत वर्ष ही नहीं दुनिया के पत्रकारिता जगत में आन, बाण, शान से लिया जाता है। दुनिया के कई नामचीन पत्रकारों में से एक राजदीप सरदेसाई। पत्रकारिता जगत राजदीप सरदेसाई के पत्रकारिता पर गर्व महसूस करते है। या यू कहे खबरों के बादशाह यानी राजदीप सरदेसाई। फर्श से अर्श तक का कामियाब सफर के करने वाले राजदीप ने करियर शुरुवात टाइम्स ऑफ़ इंडिया नामक अग्रेजी अखबार से की। मूल रूप से अग्रेजी के पत्रकार होने के बावजूद हिंदी पर भी अच्छी पकड़ है। एनडीटीवी के जरिये राजदीप ने टीवी पत्रकारिता में कदम रखा। राजदीप को टीवी के साथ साथ प्रिंट, वेब, डिजिटल मीडिया के भी एनसायक्लोपीडिया कहा जाता है। खबर देश दुनिया के राजनीति से जुडी हो, आम जनता की सरोकार से , करेंट अफेयर्स, इंडो- यूएस, इंडो- चायना, इंडो- पाक रिलेशनशिप, आंतरराष्ट्रीय मसला, ग्लोबल स्लोडाउन, क्रिकेट , बॉलीवुड या साम्प्रदाइक दंगे, राजदीप को खबरों की बेहतर समझ और ज्ञान है। प्रेझेंटेशन का अद्भुत कला है। २००२ में गुजरात दंगो पर राजदीप के रिपोर्टिंग की देश दुनिया में तारीफ़ हुई थी। राजदीप सरदेसाई एक बेहतर समालोचक है यह बहुत कम लोगो को पता है। क्रिकेट, फूटबाल, हॉकी जैसे खेलो की वो भली भाँति कॉमेंट्री करते है। एनडीटीवी के चेयरमन प्रणव रॉय राजदीप के रिपोर्टिंग और काम के इतने मुरीद थे की उन्होंने राजदीप को चैनल ना छोड़ने के लिए काफी गुहार लगाईं थी। मानवाधिकार राजदीप का पसंदीदा विषय है ।
राजदीप सरदेसाई के पत्रकारिता के करियर में कुछ ऐसे दाग लगे है। जो धूल पाना शायद मुश्किल है। जिसके चलते मनसे चीफ को कहना पड़ा
” राजदीप तुम्हारा पत्रकारिता का करियर ढलान पर है “। मसलन ” काश फार वोट स्टिंग ऑपरेशन “. जो कभी ब्रॉडकास्ट हुआ ही नहीं। ऑपरेशन का रिविएव दिखाकर केवल खानापूर्ति की गई। एक ऐसा स्टिंग जिससे देश की राजनीति में भूचाल आ सकता था। नया मोड़ मिल सकता था। कई बड़े नेता और पार्टी बेनकाम हो सकती थी। राजनीति का असली चेहरा देश की जनता को देखने को मिल सकता था। किन्तु स्टिंग ऑपरेशन ओन एयर हुआ नहीं। केवल छोटी मछली को ही जाल में लाया गया। चुकी यह मामला अब सबजूडीसियल है। उसवक्त दिल्ली, मुंबई के मीडिया जगत में हर एक के जुबान पर था ” काश फॉर वोट ” ना दिखाने के पीछे करोडो की डील हुई थी। आखिर एक पत्रकार को स्टिंग ना दिखाने की ऐसी क्या मज़बूरी हो सकती है ? वो भी ऐसे पत्रकार जो करोडो लोगो के आइकॉन है। राजदीप के पत्रकारिता करियर में नया मोड़ तब आया जब उनका नाम नीरा राडिया टेप में उछला। राजदीप पर आरोप लगते रहे है की वो कांग्रेस के फेवर की पत्रकारिता करते है। जब की पत्रकारों से यह उम्मीद रहती है की वो निष्पक्ष, स्वतंत्र पत्रकारिता करे। भलेही वो किसी भी विचारधारा से जुड़ा हो। जब कोई पत्रकार किसी पार्टी के फेवर में बात रखता है तो वो पत्रकार कम और पार्टी प्रवक्त ज्यादा लगते है। टीवी-१८ नेटवर्क ने ग्लोबल स्लोडाउन का हवाला देकर कुछ मीडिया कर्मी को घरका रास्ता दिखाया तब मानवाधिकार के समर्थक राजदीप सरदेसाई प्रबंधन के रवैये पर चुप्पी साधे थे। किन्तु कुछ माह बाद जब फायनेंसियल रिपोर्ट आया तो टीवी-१८ नेटवर्क को भारी मुनाफ़ा दिखाया गया। कई ऐसे गंभीर पहलु और तथ्य मनसे चीफ राज ठाकरे के पास थे। जिसके कारण राज ठाकरे को इंटरव्यू के दौरान कहना पड़ा ” राजदीप तुम्हारा पत्रकारिता का करियर ढलान पर है…. सॅचूरेशन आया हुआ है….. और न जाने क्या क्या ?