पंजाब नहीं, महेश भट्ट की अपेक्षाएं उड़ती है

उड़ता पंजाब पर विवाद

वेद उनियाल

वेद विलास उनियाल
वेद विलास उनियाल

ये कहानी अनुराग कश्चप और महेश भट्ट कभी नहीं बताएगे कि कैसे 1962 में चीन युद्ध पर बनी फिल्म रोक दी गई थी। राजस्थान के चर्चित संगीतकार दान सिंह के संगीतबद्ध गीत हमेशा के लिए ओझल हो गए। चीन युद्ध की पीड़ा और शहीदों के बलिदान की कहानी, फिल्म के पर्दे पर नहीं आ पाई। कारण कुछ भी रहे हो लेकिन नेफा में सैनिकों का बलिदान की कहानी पर्दे पर साकार नहीं हुई।

महेश भट् जैसे लोग कभी नहीं बताएगे कि इसी देश किस्सी कुर्सी का, के रील कैसे जला दिए गए थे। आप किसी घटना से पीडि़त होते हैं तो उसके विगत इतिहास के संदर्भ में भी जाते हैं। उन घटनाओं का उल्लेख करते हैं। क्या उडता पंजाब के लिए प्रेस काफ्रेस करने वाले महेश भट् को यह नहीं बताना चाहिए कि सेसंर बहुत बार अपनी तरह से काम करता रहा है। सही या गलत। लेकिन महेश भट्ट वही कहेंगे तो उनके ताने बाने में फिट बैठता है। उन्हें एक तरह का करेंक्टर देता है। जैसे ही चीन युद्ध पर बनी फिल्म या किस्सी कुर्सी का , का जिक्र करेंगे तो उनके मकसद पूरे नहीं होगे। जरा छेडिए उनसे इन दो फिल्मों की बातें वो दार्शनिक हो जाएंगे। क्योंकि मन में कई तरह की खुराफातें हैं। और हम उन खुराफातों को अच्छी तरह जानते हैं।
सवाल यह भी है कि ये फिल्म एक खास पड़ाव क्यों आती है। आसानी से नहीं आती ये फिल्म। जिन चुनावों में अरबो खरबों का वारा न्यारा होता है वहां एक फिल्म की योजना कौन सी बड़ी बात है। कला का राजनीतिक इस्तेमाल खतरनाक होता है।

मदर इंडिया , दो आंख बारह हाथ जैसे फिल्म शुद्ध मानी गई और उनकी कला के प्रति समाज नतमस्तक रहा तो इसलिए कि उससे राजनीति की बू दूर दूर तक नहीं थी। यहां एक फिल्म आती है और उसके पक्ष में एक घेरा बनता है। दिल्ली की एक पार्टी जोर जोर से उसकी वकालत करने लगती है तो शक गहराता है। कहीं कला का खतरनाक इस्तेमाल तो नहीं। राजकपूर समाजवादी आग्रहो के साथ थे। कांग्रेस के प्रति उनकी सहानुभूति थी लेकिन उन्होंने चुनाव से पहले कोई फिल्म कांग्रेस के हित के लिए नहीं बनाई। आवारा, बरसात, श्री चारसौ बीस, जिस देश में गंगा बहती है, समाज के दर्पण की तरह थी। इसलिए उन चित्रों पर शक नहीं किया गया। महेश भट्ट को जो पिछले पंद्रह बीस सालों से सुनते देखते आए हैं उन्हें शक ही शक होता है कि यह व्यक्ति कला में राजनीति का खूब घालमेल करता है। और कला को शुद्ध नहीं रखने देता। महेश भट् जहां आते हैं शक उभरने लगते हैं। पंजाब नहीं उडता महेश भट्ट की अपेक्षाएं उड़ती है। (लेखक पत्रकार हैं.)

@एफबी

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